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जैनेन्द्र : व्यक्तित्व और कृतित्व उस जगह को हमेशा के लिए छोड़ दिया । एक मरतबा इस रुपया बोने की घटना के पांच-छः महीने बाद, इनके मामा जब रेल से कहीं जा रहे थे तो यह उनके साथ थे । जब वह स्टेशन पाया, जहाँ इन्होंने रुपया बोया था तब अपने मामा से बोले, "मैं यहां उतरूँगा।"
___ मामा ने पूछा, "किस लिए" । बोले, ' मैंने यहाँ रुपया बो रखा है, अब वह उग आया होगा।"
मामा यह सुनकर हंस दिये, पर यह उनकी हंसी पर उन्हें इस तरह देख रहे थे, मानों कह रहे थे कि हमारे मामा इतना भी नहीं समझते !
___ एक दिन का जिक्र है किसी वजह से घर में एक बूद दूध न था। बाल-जैनेन्द्र ने माँ से दूध मांगा। उन्होंने कह दिया बेटा दूध तो नहीं है, मिठाई ले लो, मठरी ले लो, फल ले लो; पर बाल-जैनेन्द्र किसी तरह राजी नहीं हुए, वह दूध के लिये ही हठ करते रहे। और जब माँ ने फिर यह. कहा कि बेटा दूध घर में नहीं है, कहां से लाऊँ ? तब आप बोले कि दूध टट्टी घर में बखेरने के लिए है और मेरे पीने के लिए नहीं। घर का घर यह सुन कर हंस पड़ा, क्योंकि वाल-जनेन्द्र टट्टी घर में बखेरे हये फिनायल को ही दूध समझे हुये थे। उन्हें जितना ही यह समझाने की कोशिश की गई कि वह दूध नहीं है, उतना ही उनके गुस्से का पारा चढ़ता गया। आखिर में रूठ कर बाहर बरामदे में जा बैठे, और फिर पड़ोस से दूध आने पर ही माने ।
। घर में इनसे छोटा बच्चा कोई न था। इसलिए इनको सब ही का प्यार मिलता था। यह प्यार से अघाये हुए थे, इसलिए प्यार उँडेलना चाहते थे । अब यह उँड लें तो किस पर ? पड़ोस में भी इनसे छोटा कोई बच्चा न था, पर इन्हें तो कोई चाहिये ही । एक दिन एक पिल्ला पकड़ लाये । बस फिर क्या था, उस पर इतना प्यार उँडेला गया कि वह कि-किं करके इनसे अपना पीछा छुड़ाने की कोशिश करने लगा । पर यह कब छोड़ने लगे, कभी उसको कुछ खिलाना, कभी ग्लास से पानी पिलाना, कभी उसे उठाकर सुलाना, कभी गोदी लेना और कभी उसके पंजों से तंग आकर उसे छोड़ देने पर, गिर जाने पर फिर उसे प्यार से उठाना और थपथपाना, चारपाई पर सुलाना । घंटे डेढ घंटे में ही वह पिल्ला इनके प्यार से ऊब गया और इनसे पीछा छुड़ाकर भाग गया। यह उसके पीछे बहुत भागे, पर वह हाथ न आया । घर के और लोगों को जरा भी उस पिल्ले से प्यार होता, तो हो सकता था कि वह फिर पकड़ लिया जाता । पर वैसा न हुअा, इसलिए इनका यह शौक एक दिन और वह भी एक घंटे से ज्यादा न चला।।
हम बहुत सोचने पर भी यह नहीं बता सकते कि, बाल-जैनेन्द्र को और बच्चों की तरह भूख का ज्ञान क्यों नहीं था। भूख तो बच्चों के साथ-साथ जन्म लेती है ।