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जैनेन्द्र : व्यक्तित्व और कृतित्व
३. उपन्यासकार
श्रादि कथा का यही बीज जैनेन्द्रकुमार के उपन्यासों की भी मूल प्रेरणा है । 'परख' से 'जयवर्धन' तक उनके नौ उपन्यासों में पुरुष और नारी, व्यक्ति और व्यक्ति, व्यक्ति और परिवार, परिवार और राष्ट्र, और अन्ततः व्यक्ति और विश्व ( जय जगत ) तक के सम्बन्धों को उनके मूलभूत प्राधार-शील एकांशों में विश्लेषित करके रख देना उनका प्रधान कार्य है । इसीलिये वह घटनाओं को घटनाओं के नाते महत्त्व नहीं दे सकते । इतिहास उनके लेखे निरा सहारा है । वैसे ही हर क्षण इतिहास है । चरित्र भी निमित्तमात्र है | चरित्र, शीलनिरूपरण के अर्थ में नहीं, चौकोर व्यक्तित्व के अर्थ में ।
एकाध कट्टो या मृणाल बुझा, कल्याणी या हरिप्रसन्न, 'व्यतीत' का नायक कवि-कप्तान या एक जयवर्धन उभर कर उनकी उपन्यास सृष्टि में से बाहर कभीकभी पाठक- रसिक की स्मृति से जैसे एकाकार हो जाते हैं । वे घनीभूत हो जाते हैं । फिर भी लेखक का उद्देश्य पात्रों को यथाशक्य निराकार और वायवी रखना है । घटना या प्रसंग नहीं, चरित्र या पात्र नहीं, तो आाखिर जैनेन्द्र के उपन्यास किस कारण से महत्वपूर्ण हैं, लोकप्रिय हैं, संस्मरणीय हैं ?
उपन्यास का माध्यम जैगेन्द्र ने चुना है किसी विचार-विश्लेषण, विचार परिप्रेषण के लिए | वे ऐसे त्रासद विचार हैं जिनसे लेखक छुट्टी नहीं पा सकता, या यों कहें कि मानवमात्र छुट्टी नहीं पा सका है । वही आर्य सत्य 'दुवख' है, जिसके पीछे गौतम सिद्धार्थ बने, वही हर मानव की सूली है जिसे ईसा की भाँति होना ही पड़ता है । वही महावीर की करुणा का विषय था, वही कारण था जिसने गाँधी को आर्त बनाया और नोप्राखाली की खाक छानने के लिए बाध्य किया, वही कारण है कि विनोबा भूमि के भिक्षु बन उठे । जैनेन्द्र के मन में भीतर कहीं वही मानवजाति के मूल में सदा सप्रश्नता लिए हुए रमने वाली व्यथा है । उसी मे से उनके उपन्यास की ऐसी विचित्र परिस्थितियाँ उभरती हैं कि श्रीकांत और सुनीता, प्रमोद और मृणाल, कल्याणी और सरानी मिलते हैं और फिर भी नहीं मिल पाते, जैसे प्रत्येक व्यक्ति उसी व्यथा - मूल की खोज में हो ।
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जयवर्धन की विशेषताए
'जयवर्द्धन' उपन्यास तक आते-आते जैनेन्द्र की लेखनी परिपक्व और प्रौढ़ हो गयी है । यह विचार प्रधान उपन्यास है, भविष्यवादी उपन्यास है, यहाँ देश-काल की चेतना को शून्यतम बनाने के लिए एक काल्पनिक भावी समय और एक विदेशी पत्रकार- दार्शनिक की उद्भावना की गयी है । इस उपन्यास को 'यूटोपिया' और ‘ऐरेव्होन’, ‘ब्रे`व नियू वर्ल्ड' और 'शेप आफ् थिंग्ज 'टुकम्', 'नियू एटलान्टिस' या