Book Title: Jainendra Vyaktitva aur Krutitva
Author(s): Satyaprakash Milind
Publisher: Surya Prakashan Delhi

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Page 259
________________ जैनेन्द्र के जयवद्धन पूर्व उपन्यास : एक पर्यवेक्षण २४३ जितेन के पैरों पर माथा टेक कर मोहिनी बोली - "मैं तुम्हारे पाँव पड़ती हूँ, इतने निर्दय न बनो । " जितेन ने अपना पैर झिटक कर अपने अनुयायियों से कहा कि वे उसे उससे दूर हटा ले जायें। मोहिनी ने बाहों की लपेट से कसकर जितेन की टाँगों को पकड़ लिया । पुनः, मोहिनी जितेन के बूट के तस्मों से ऊपर पाँव के मोजों पर बार-बार जितेन के दोनों पैरों को चूम उठी और जितेन अर्थात् विवर्त वृत का प्रधान पुरुष तात्त्विक नारी को इस संवेदनात्मक प्रार्थना पर भीग नहीं पाता । क्योंकि वह अपने अंदर के श्रमानव को क्रान्ति के पर्दे पर ज्यादा-से-ज्यादा उभारने का कुकृत्य करता है । धी पड़ी सिर को धीमे-धीमे फर्श की कालीन पर पटकती और रह-रहकर फफक उठती चन्द्री के प्रति जयन्त-स्थिति और अपहृता मोहिनी के प्रति जितेन - व्यवहार में समत्व है । सम्यक् सुनीता की तरह ही, मोहिनी ने कहा- "मुझे सचमुच मार क्यों नहीं देते हो, जितेन ? क्यों त्रास पाते हो ?" आँसूत्रों के बीच में से वह अभिव्यक्त हो गई थी। विवर्तवाद के प्रधान प्रवक्ता ने बेहद तेज होकर जवाब दिया था - "प्रांसू से बात न कर औरत । सीधी बात कर ।" P " कहती तो हूँ जितेन, सीधे मुझे मार दो । टेढ़े से अपने को न मारो। " नग्न आत्मसमर्पण की स्थिति में सुनीता ने भी हरिप्रसन्न को कहा था— " अपने को मारो मत । हरिबाबू, मरो मत, कर्म करो ।" सुनीता मंडल में पुरुष को सम्यक् निष्ठा की परिपूर्णता में अभिव्यक्त होना ही पड़ा - "नहीं मारूँगा... किन्तु विवर्तवाद पुरुष ने कहा- "मुझे रुपया चाहिए ।" " . यह उक्ति विवर्तवादी पुरुष के पुरुष वृत के प्रति हमारा सम्पूर्ण विश्वास समाप्त कर देती है । हाँ, वह कहता है, "मुझे रुपया चाहिए ।" और वह मोहिनी को 'हा' कहता है और उसके साथ श्रमानुषिक व्यवहार करने की आज्ञा दे देता है ! तब मोहिनी के चेहरे पर गहरी विषादभरी मुस्कराहट आ गई । और विवर्तव्यक्ति पत्थर का आदमी बन जाता है । पत्थर का आदमी - जो प्रादमी के शब्दों को लेकर बातें करता है, प्रादमी की तरह मालूम पड़ता है, परन्तु प्रादमी नहीं है । किन्तु मोहिनी के अनुसार जितेन उसे अमीरी का दण्ड देता है । यह विवर्त की नायिका के अन्दर का शायद मधुचक्र है जो शब्द-मधुमक्षिकानों से घिरा है ।

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