Book Title: Jainagam Stoak Sangraha
Author(s): Maganlal Maharaj
Publisher: Jain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar

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Page 15
________________ ( १३ ) पृष्ठ ४४१ ૪૪૨ ४४३ ४४४ ४४५ ४४८ ४४४ ४५१ ४५२ ४५६ ४६१ ४६३ अध्याय ४८ मार्गानुसारी के ३५ गुण ४६ श्रावक के २१ गुण ' । ५० मोक्ष जाने के २३ बोल ५१ तीर्थकर गोत्र बाधने के २० कारण ५२ परम कल्याण के ४० बोल ५३ ३४ अतिशय ५४ ब्रह्मचर्य की ३२ उपमा ५५ देवोत्पत्ति के १४ वोल ५६ षटद्रव्य पर ३१ द्वार ५७ चार ध्यान ५८ आराधना पद ५६ विरह पद ६० संज्ञापद ६१ वेदनापद ६२ समुद्धात पद ६३ उपयोग पद ६४ उपयोग अधिकार ६५ नियठा ६६ संजया ६७ अष्ट प्रवचन ६८ ५२ अनाचार ६६ आहार के १०६ दोष ७० साधु समाचारी ७१ अहोरात्रि की घडियो का यन्त्र ७२ दिन पहर माप का यन्त्र ५७३ रात्रि पहर देखने की विधि ४६४ ४६६ ४६८ ४७४ ४७५ ४७६ ४८५ ४६३ 0 0 ५०६ ५०८ ५०६ ५१०

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