________________
९४ : जैन महापुराण : कलापरक अध्ययन
संग्रहालय एवं बारभुजी गुफा में देखी जा सकती हैं। नमि का लांछन नीलोत्पल और यक्ष-यक्षी भृकुटि एवं गान्धारी ( या चामुण्डा ) हैं ।२१3 एलोरा में इनकी भी कोई मूर्ति नहीं उत्कीर्ण है। २२. नेमिनाथ ( या अरिष्टनेमि ) :
२२वें तीर्थंकर नेमिनाथ का जन्म हरिवंश के काश्यपगोत्री शिखामणि राजा समुद्रविजय के यहाँ हुआ था। इनकी माता का नाम शिव देवी था जिन्होंने सोलह शुभ स्वप्न व मुख में प्रवेश करता उत्तम हाथी देखने व गर्भ में तीर्थंकर के अवतीर्ण होने का समाचार राजा द्वारा जानने के बाद श्रावण शुक्ला षष्ठी के दिन चित्रा नक्षत्र में तीन ज्ञान के धारक जिन बालक को जन्म दिया। ज्ञातव्य है कि ऋषभनाथ के बाद नेमिनाथ, पार्श्वनाथ एवं महावीर ही सर्वाधिक लोकप्रिय तीर्थंकर रहे हैं । नेमिनाथ का बलराम और कृष्ण के चचेरे भाई होने के कारण विशेष महत्त्व रहा है। बलराम और कृष्ण को ६३ शलाकापुरुषों की सूची में क्रमशः ९वें बलभद्र और ९वें नारायण के रूप में निरूपित किया गया है। जन्म के बाद सौधर्म आदि नेमिनाथ को ऐरावत गज पर सुमेरु पर्वत पर ले गये और सूवर्णमय एक हजार आठ कलशों में भरे हए क्षीरसागर के जल से इनका अभिषेक कर 'नेमि' नाम से सम्बोधित किया।२१४ श्वेताम्बर परम्परा में उल्लेख है कि “गर्भकाल में महाराज सभी प्रकार के अरिष्टों से बचे रहे तथा माता ने अरिष्ट रत्ननाम चक्र-नेमि का दर्शन किया, इसलिये इस बालक का नाम 'अरिष्टनेमि' रखा गया।"२१५ ___इनकी आयु एक हजार वर्ष की तथा शरीर दस धनुष ऊँचा था। अनेक प्रकार के सुखों का उपभोग करते हुए वे द्वारावती नगरी में चिरकाल तक रहे । एक दिन शरद ऋतु में जब नेमिनाथ मनोहर नामक सरोवर में अन्तःपुर के अन्य लोगों के साथ सम्मिलित श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा के साथ जल-क्रीड़ा कर रहे थे तब उन दोनों के बीच चतुराई पूर्ण मनोहर वार्तालाप हुआ। स्नान के बाद जब नेमिनाथ ने सत्यभामा से अपने स्नान के वस्त्रों को धो डालने के लिये कहा तो सत्यभामा उनके आगे कृष्ण के साहस का परिचय देते हुए कहने लगों कि "क्या आप वह श्रीकृष्ण हैं जिन्होंने नागशय्या पर चढ़कर शाङग नामक दिव्य धनुष चढ़ा दिया था तथा शंख नाद किया था ? सत्यभामा की इन बातों को सुनकर नेमिनाथ आयुधशाला में गये और वहाँ नागशय्या पर चढ़कर धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा कर शंख बजा दिया। कृष्ण को
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org.