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जैन महापुराण - पोथीचित्र : २६९ हुआ है । साथ ही ११वीं - १२वीं शती ई० के देलवाड़ा स्थित विमलवसही एवं कुंभारिया स्थित शांतिनाथ एवं महावीर मंदिरों के वितानों पर इन दृश्यों के विस्तृत शिल्पांकन की पूर्व परम्परा भी देखी जा सकती है ।
पाद-टिप्पणी
१. राय कृष्णदास, भारत की चित्रकला, इलाहाबाद १९७४ |
२. मोतीचन्द्र, जैन मिनीयेचर पेन्टिंग्स फ्रॉम वेस्टर्न इण्डिया, अहमदाबाद १९४९ ।
३. डब्ल्यू ० एन० ब्राउन, ए डिस्क्रिप्टिव ऐण्ड इलस्ट्रेटेड कैटलॉग ऑफ मिनीयेचर पेन्टिग्स ऑफ दि जैन कल्पसूत्र, वाशिंगटन १९३४ ।
४. सरयू दोशी, दि आइकोनोनिक ऐण्ड दि नैरेटिव इन जैन पेन्टिंग ( मोनोग्राफ ), मार्ग, खण्ड ३६, अंक ३ ।
५. डगलस बैरट एवं बसील ग्रे, इण्डियन पेन्टिंग, न्यूयार्क १९१८ । ६. सरयू दोषी, पू० मि०, पृ० ५५-७२ ।
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