Book Title: Jain Mahapurana Kalaparak Adhyayana
Author(s): Kumud Giri
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 285
________________ २७२ : जैन महापुराण : कलापरक अध्ययन महाभारत-क्रिटिकल एडीशन, पूना, प्रतापचन्द्र राव (सं०), कलकत्ता गोता प्रेस, गोरखपुर । मानसार-पी० के० आचार्य, आर्किटेक्चर ऑव मानसार, आक्सफोर्ड यूनि वपिटी प्रेस। रामायण-(वाल्मोकिकृत ), नारायण स्वामी (सं०), लन्दन १९५२-५५; वासुदेवाचार्य (सं० १९०२), गीताप्रेस, गोरखपुर १९६० । रूपमण्डन-( सूत्रधार मण्डनकृत ). सं० बलराम श्रावास्तव, वाराणसी वि० सं० २०२१ । वसुदेवहिण्डी-(संघदासकृत ), खण्ड १, सं० मुनि श्रीपुण्यविजय, आत्मानन्द जैन ग्रंथमाला ८०, भावनगर १९३० ।। वास्तुविद्या-( विश्वकर्माकृत ), दीपार्णव (सं० प्रभाशंकर ओघड़भाई सोमपुरा, पालिताणा, १९६० ) का २२वां अध्याय । विष्णुधर्मोत्तरपुराण-अंग्रेजी अनु० प्रियबाला शाह, बड़ौदा १९६१; स्टेला क्रमरिश, कलकत्ता १९२८ । समराइच्चकहा-( हरिभद्रमरिकृत), सं० एच० जैकोबी, कलकत्ता १९२६ । समवायांगसूत्र-अनु० घासीलाल जी, राजकोट १९६२, सं० कन्हैयालाल, "दिल्ली १९६६ । स्तुतिचतुर्विंशतिका या शोभन स्तुति-(शाभनसूरिकृत ), सं० एच० आर० कापडिया, बम्बई १९२७ ।। स्थानांगसूत्र-सं० घासीलाल जो, राजकोट १९६४ । हरिवंशपुराण-(जिनसेनकृत ), सं० पन्नालाल जैन, ज्ञानपीठ मूर्तिदेवी जैन ग्रन्थमाला, संस्कृत ग्रंथांक २७, वाराणसी १९६२ । (ख) सहायक ग्रन्थ एवं लेख-सूचो । अग्रवाल, वी० एस०-(१) भारतीय कला, वाराणसी १९६६ । (२) स्टडीज इन इण्डियन आर्ट, वाराणसी १९६५ । अवस्थी, रामाश्रय-खजुराहो की देव प्रतिमायें, आगरा १९६० । आचार्य प्रसन्नकुमार-ए डिक्शनरी ऑफ हिन्दू आर्किटेक्चर, इलाहाबाद १९२७ उपाध्याय, वासुदेव-प्राचीन भारतीय मूर्ति विज्ञान, वाराणसी १९७० । उपेन्द्र मोहन-देवता मूर्ति प्रकरण ऐण्ड रुपमण्डन, कलकत्ता १९३६, पृ० ७०० १८७, ४४७ । ऋषभचन्द्र, के०-(१) 'जैन पुराण साहित्य', महावीर जैन विद्यालय गोल्डेन जुबली वाल्यूम, बम्बई १९६८, पृ० ७१-८० । (२) 'जैन धर्म का प्रसार', महावीर जैन विद्यालय गोल्डेन जुबली वाल्यूम, बम्बई १९६८, पृ० ८-२४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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