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२१४ : जैन महापुराण : कलापरक अध्ययन
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मणि, हैं ( पीतमणि ), मुक्ता ( श्वेतमणि ), गोमुखमणि, स्फटिकमणि, मरकतमणि, पद्मरागमणि १२ तथा प्रवाल 13 जैसे मणियों के उल्लेख मिलते हैं । इनमें से कुछ मणियों का बाहर से आयात भी किया जाता था । १४
आभूषणों के प्रकार :
स्त्री व पुरुष दोनों द्वारा समानरूप से धारण किये जाने वाले विभिन्न आभूषण सिरोभूषण, कर्णाभूषण, ग्रीवाभूषण, कराभूषण, कटिआभूषण तथा पादाभूषण थे । प्रत्येक आभूषण के विविध प्रकार प्रचलित थे जिनका अंगानुसार वर्णन यहाँ अपेक्षित है ।
शिरोभूषण :
सिर को भूषित करने वाले आभूषणों में मुख्यतः मुकुट, किरीट, चूड़ामणि, मौलि, सीमन्तकमणि, अवतंस, कुन्तली व पट्ट का जैन पुराणों में उल्लेख मिलता है ।
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(क) मुकुट ५ – मुकुट देव आकृतियों, राजा और सामंत तीनों के मस्तक का प्रमुख आभूषण था । दीक्षापूर्व तीर्थंकर भी मुकुट धारण करते थे । १६ देव आकृतियों द्वारा धारण किये गये मुकुट के अग्रभाग पर मणियाँ लगी होती थीं । १७ निःसन्देह मुकुट का प्राचीनकाल में अत्यधिक महत्त्व था और विशेषतः इसका प्रचलन राजपरिवारों में ही था । विभिन्न प्रकार के मुकुट के उदाहरण ९वीं - १०वीं शती ई० के देवगढ़ ( मन्दिर१२ ), एलोरा तथा ११वी-१२वीं शती ई० के सतना, शहडोल व विमलवसही ( आबू, राजस्थान ) की अम्बिका, चक्रेश्वरी एवं पद्मावती यक्षियों की मूर्तियों में देखे जा सकते हैं । "
(ख) किरीट " - किरीट का निर्माण स्वर्ण से होता था । चक्रवर्ती व महान सम्राट भी इसको धारण करते थे । यह प्रतिभाशाली सम्राटों की महत्ता का सूचक था ! जैन यक्षी चक्रेश्वरी की मूर्तियों में किरीटमुकुट का अंकन सभी स्थलों पर मिलता है । ज्ञातव्य है कि ब्राह्मण परम्परा में विष्णु एवं सूर्य की मूर्तियों में सर्वदा किरीटमुकुट ही दिखाया गया है ।
(ग) किरीटी २० – किरीटी का निर्माण स्वर्ण व मणियों द्वारा होता था । यह किरीट से कुछ छोटा होता था तथा स्त्री व पुरुष दोनों ही इसे धारण करते थे । स्त्रियों में प्रचलित किरीटी के उदाहरण हुम्मच ( कर्नाटक ) के जैन मन्दिर से प्राप्त १०वीं शती ई० की अम्बिका एवं
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