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शलाका पुरुष : १३५ पकड़ कर लाने के उद्देश्य से राम उस हिरण के पीछे गये। इधर रावण छल से राम का रूप धर कर सीता के सामने आया और पुष्पक विमान को पालकी रूप में परिवर्तित करके उसका हरण कर लिया।
__ शोकाकुल राम को जब एक दूत द्वारा भेजे गये दशरथ के पत्र से लंका के विद्याधर राजा रावण द्वारा सीता के हरण का पता चला तो वे अत्यधिक क्रोधित हुए और सीता को लाने का उपाय सोचने लगे। उसी समय उनके सन्मुख सुग्रीव व अणुमान (हनुमान ) नामक दो विद्याधर आये। उनके पराक्रम व शक्ति के बारे में सुनकर राम ने अणुमान को अपने नाम से चिह्नित एक मुद्रिका देकर लंका भेजा। लंका में नन्दन नामक वन में शिशंपा वृक्ष के नीचे शोकाकूल सीता को देख अणुमान उनके सामने 'प्लवग' नामक विद्या द्वारा कपि का रूप धर कर प्रकट हुए और उन्हें राम की मुद्रिका दी। तत्पश्चात् वापस आकर राम को सीता व अहंकारी रावण एवं उसके पास चक्ररत्न के प्रकट होने की सूचना दी। ___ अंगद के परामर्श पर राम ने पुनः अणुमान को रावण को समझाने के लिये लंका भेजा । अणुमान तथा विभीषण ने अनेक प्रकार से रावण को समझाया और सीता को वापस लौटा देने का परामर्श दिया किन्तु अहंकारी रावण के किसी भी प्रकार न मानने पर राम और रावण के मध्य युद्ध अवश्यम्भावी हो गया ।
इसी बीच किलकिल नामक नगर के विद्याधर राजा वालि के एक दूत ने राम के पास आकर उसके शौर्य और पराक्रम की प्रशंसा की और उसे अपना दूत बनाकर लंका भेजने का परामर्श दिया। अपने मंत्रियों से परामर्श करने के बाद राम ने वालि का वध करने का निश्चय किया और दूत द्वारा यह कहलवा भेजा कि वह अपने महामेघ नामक श्रेष्ठ हाथी हो समर्पित करे। यह सुन वालि अति कुपित हुआ और उसने रामचन्द्र को युद्ध का आमंत्रण दिया। फलस्वरूप राम ने लक्ष्मण को सुग्रीव आदि की सेना के साथ वालि से युद्ध करने के लिये भेजा। इस युद्ध में लक्ष्मण ने अपने तीक्ष्ण बाण से वालि का वध किया। ___ वालि का वध करने के बाद लक्ष्मण ने जगत्पाद नामक पर्वत पर सात दिनों तक निराहार रहकर प्रज्ञप्ति नामक विद्या सिद्ध की। इसके अतिरिक्त सुग्रीव और हनुमान ने भी राम और लक्ष्मण को अपनी सिद्ध
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