Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
View full book text
________________
.
.
..
..
.
.
. ( १२: ) : : .. वैदिक परम्परा में राम-कथा
राम-कथा का वैदिक परम्परानुमोदित प्राचीनतम ग्रन्थ महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण है। इसका सम्मान भी अधिक है और प्रामाणिकता भी सबसे ज्यादा । इस प्रामाणिकता का कारण यह बताया जाता है कि वाल्मीकि श्रीराम के समकालीन थे अतः रामायण की सभी घटनाओं का . उन्होंने यथातथ्य चित्रण किया है । परित्याग का समय भी सीताजी ने वहीं : व्यतीत किया और वहीं दोनों पुत्र को जन्म दिया। वाल्मीकि ऋषि ने जो--
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः । ....... .. यत्- क्रौंचमिथुनादेकमवधीः काममोहिताम् ।। कहकर रामायण की. करुणरसः पूर्ण सुर-सरिता वहाई तो वाद के अनेक, कवियों ने इसमें स्नान किया। .......................... ......
'संस्कृत भाषा में महाकवि कालिदास का रघुवंश, अध्यात्म-रामायण, . भवभूति का 'उत्तर रामचरित', 'हनुमन्नाटक', दक्षिण के प्रसिद्ध कवि कम्बन .
का 'राम चरित', आदि अनेक प्रमुख ग्रन्थ हैं। ... संस्कृत से धारा वही तो अपभ्रंश तथा अन्य सभी देशज भाषाओं में । बहती हुई आज की राष्ट्रभाषा हिन्दी में अवतरित हुई । अवधी और ब्रजभाषाओं में केशवदास की 'रामचन्द्रिका', रामशलाका, तुलसीकृत 'रामचरितमानस आदि प्रमुख हैं ।
राष्ट्र भाषा हिन्दी में राम कथा गद्य और पद्य दोनों में लिखी गई है। स्वर्गीय राष्ट्रकवि मैथिलीशरणगुप्त. का 'साकेत', अयोध्यासिंह उपाध्याय
हरिऔध का 'वैदेही वनवास' यदि पद्य में हैं तो सेठ गोविन्ददास का 'कर्तव्य ... नाटक शैली में तथा भूमिजा, 'दशकंधर' आदि गद्य की उपन्यास शैली में और
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला ने 'राम की शक्ति पूजा के नाम से एक निराले ही. खण्ड महाकाव्य की रचना की।