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- संदर्भ ( भूमिका) १. देवोत, सोहनलाल, जैन विद्या सेमिनार, बोरिवली, बंबई, १६८२ में पठित
लेख.
२. सिंघई, प्रकाशचंद्र; जैन शास्त्रों में मंत्रवाद, जमोला साधुवाद ग्रन्थ, रीवा,
१६८८ पृ. १६७.
३. वर्णी, जिनेन्द्र, जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश-३, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, १६६३
पृ. २४५.
४. उपाध्याय बलदेव; भारतीय दर्शन, शारदा मंदिर, वाराणसी, १६६६ पृ.
४२७-८३. १२६. ५. बसु, एन. एन.; हिन्दी विश्वकोश-८. बी.आर. पब्लिकेशन्स्, दिल्ली, १६८६
पृ. २८६.
६. उपाध्याय बलदेव, भारतीय दर्शन, पृ. ४२७-८३. ७. बसु एन०एन०, हिन्दी विश्वकोश पृ. २८६, भाग-६. ८. (अ) शास्त्री, नेमचन्द्र; णमोकार मंत्र- एक अनुचिंतन, भारतीय ज्ञानपीठ,
काशी, १६६६. (ब) शाह, अंबालाल, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग-५, पार्श्वनाथ विद्याश्रम, काशी, १६६६.
६. आप्टे, व्ही. एस.; संस्कृत इंग्लिश डिक्शेनरी, मोतीलाल बनारसीदास,
दिल्ली , १६६३ पृ. २२६, ४२४, ४५४.
१०. ओशो, रजनीश दी साइलेंट एक्सप्लोजन, आनंदशील पब्लिकेशन्स्, बंबई,
१६७३ पृ. ७७-६१.
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