Book Title: Jagatkartutva Mimansa
Author(s): Balchandra Maharaj
Publisher: Moolchand Vadilal Akola

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Page 16
________________ ( २ ) है। जैन दर्शन का कहना युक्ति और प्रमाण से युक्त होने से सत्य ठहरता है और ईश्वरवादियों को भी इधर उधर घूम घुमाकर अर्थात् जगत्का कर्त्ता ईश्वर को मानकर भी अन्त में तो यह कहना ही पड़ता है कि सृष्टि अनादि है।पाठक ! विचार करें, ईश्वरवादियों को जैन दर्शन का कहना स्वीकार करना पड़ाया नहीं? और जो ईश्वरवादियों का यह कहना है कि-"बिना किये कोई पदार्थ नहीं बनता इसलिये संसार का रचयिता मानना अवश्य है, किन्तु इसके उत्तर में जब यह पूछा जाता है कि-तब तो ईश्वर का भी कर्ता कोई होगा ? तो फिर कुछ भी योग्य उत्तर नहीं दे सकते, तात्पर्य युक्ति और प्रमाणों से जगत् का कर्त्ता ईश्वर सिद्ध नहीं हो सकता तथापि हमारे ईश्वरवादी मित्र पक्षपात के वश जो इस बात का हठ और कदाग्रह नहीं छोड़ते यह बड़ेही शोक की बात है। ईश्वरवादी महाशयों का यह भी कहना है कि "सब पदार्थों का बनानेवाला मैं ईश्वरहूँ" ऐसा हमारेधर्मग्रन्थों में ईश्वर ने कहा है और हमारे धर्मग्रन्थ ईश्वरप्रणीत होने से श्रद्धा करने योग्य हैं, ऐसा सभी ईश्वरवादियों का मत है। जैसे कि इसाई महाशय ईशू खिष्ट मार्ग को ही सच्चा बतला रहे हैं और कह रहे हैं कि बाइबल ईश्वरीय पवित्र ग्रन्थ है, इससे इसमें कही हुई ही बाते सत्य है और सब झूठ है, हमारे बाइबल में लिखा है कि सबको बनानेवाला एक ईश्वर है । इधर मुसल्मान (यवन) मित्र कह रहे है कि अल्लाह ताला ने कुरान शरीफ में जो फ़रमाया है वही सच्चा है और सब शैतानी मामला है याने झुठ है हमारा कुरान शरीफ आस्मानी किताब है याने अल्लाह ताला ने नबी-महम्मद साहब के लिये आस्मान से भेजी है और उसमें अल्लाह ताला ने फरमाया है कि 'आम दुनिया को पैदा करने वाला मैं हैं' मेरे मजहब की किताब के सामने इन्सानों की बनाई हुई दूसरी किताये उस घरजें को नहीं पहुँच सकती । इसी तरह हमारे आर्यदेशीय बैदिक मित्र भी कह रहे हैं कि वेद ईश्वरप्रणीत है। ईश्वर वैदिक ऋषियों द्वारा वेदों का संसार में प्रकाश करता है इससे वेदवाक्य ईश्वरवाक्य है और वेदविरुद्ध जितने धर्म हैं वे सब अनीश्वर-प्रणीत हैं । इधर शाक्त अर्थात् वाममार्गी कह रहे हैं कि यह सब शक्ति की माया है अर्थात् सब संसार शक्ति

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