Book Title: Jagatkartutva Mimansa
Author(s): Balchandra Maharaj
Publisher: Moolchand Vadilal Akola

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Page 49
________________ ( २७ ) अतः सिद्ध हुआ कि संपूर्ण पदार्थ शाश्वत हैं, क्योंकि सृष्टि उत्पन्न करने के प्रथम पृथ्वी, जल, प्राग्वट जीव और परमाणु कायम थे तो फिर आपके ईश्वर ने क्या सृष्टि रची। जगत्कर्ता तो जब सिद्ध हो कि बिना किसी पदार्थों की सत्ता से स्वतः ईश्वर का सब पदार्थ उत्पन्न करना सद्धेतुद्वारा सिद्ध कर दिया जाय । परन्तु असत्य बात कहां तक सत्य हो । और जो यह कहना है कि महाप्रलय में सो जाता है तो क्या ईश्वर को निद्रा भी आया करती है ? क्या ईश्वर सोता जागता भी है ? जाग्रत् , स्वप्न, सुषुप्ति, आहार, विहारादि दशा देहधारियों को होती है, और आपलोग तो ईश्वर को अदेही मानते हैं इससे आपका मन्तव्य निरर्थक हुआ क्योंक अदेही का जागना और सोना नहीं बन सक्ता और बिना शरीर के प्राग्वट पर जाना आना सोना भी नहीं हो सक्ता, इसलिए अदेही ईश्वर के लिए यह एक दूषण है और इससे ईश्वर सृष्टि का कर्ता, हर्ता है यह कहना भी असत्य हुआ। कितनेक लोग कहते हैं कि ब्रह्मा, विष्णु, और शिव यह त्रिमूर्ति सर्वज्ञ है और संसार में जो कुछ पदार्थ है सो यही है, परंतु हमारी समझ से तो वेसर्वज्ञ नहीं हैं क्योंकि शिव ने अज्ञान से पार्वतीपुत्र गणेश का शिरच्छेदन किया। यदि सर्वज्ञ होते तो क्या यह नहीं जान सकते थे कि यह मेरी प्राणबल्लभा पार्वती से उत्पन्न हुआ मेरा पुत्र है ? इत्यादि अनेक दृष्टान्त शैव मत के शास्त्रों में मिलते हैं उनके देखने से हम शिव को सर्वज्ञ नहीं कह सक्ते। ___इधर जब रावण ने सीता का हरण किया उस समय रामचन्द्रजी विष्णु के अवतार और साक्षात् परमेश्वर सर्वज्ञ होकर भी वन के वृक्षों से पूछते फिरे कि"भो वृक्षाः पर्वताग्रे बहकुसुमयुता वायुना धूयमानाः, सा सीता केन नीता मम हृदयप्रिया कोमला कापि दृष्टा,, ___ मेरी सीता, किसीने देखी ? मेरी सीता, किसीने देखी ? ऐसा जब पूंछते फिरते थे उस समय उनकी सर्वज्ञता कहाँ जाती रही थी ? कि वे वृक्षादिकों से पूछने लगे।

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