Book Title: Jagatkartutva Mimansa
Author(s): Balchandra Maharaj
Publisher: Moolchand Vadilal Akola

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Page 108
________________ ( ८६ ) और जैन दर्शन के प्रन्थों का दीर्घ दृष्टि से अवलोकन करो जिससे आपको सच्ची स्वतन्त्रता प्राप्ति करने का मार्ग मिले । अन्त में देशी विदेशी स्वधर्मी परधर्मी सब मित्रों से इस ग्रन्थ को आदि से अन्त तक पढ़ने की प्रार्थना करके मैं इस ग्रंथ को यहाँ ही पूर्ण करता हूँ । शुभानि भूयासुर्वर्द्धमानानि । शम् संवत् १९६५ कार्तिकवदी षष्ठी गुरुवार आकोला (बराड) जैन श्वेताम्बर मन्दिर ताजना पेठ सज्जन कृपाभिलाषी यति बालचन्द्र

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