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देशान्तरेषु चरितानि विशेषयन्ति ये शर्मधाम तव नाम निरूपयन्ति ।।'
(देवकाली-महिमा श्लो० ५, ६) भावार्थ-हे देवकालि ! जो लोग आपको अपने हृदय मन्दिर में चित्रित करते हैं, उनपर कलि का दुष्प्रभाव असर नहीं डाल पाता-साथ ही अनेक दुर्वासनाओं के रूप में प्रकट होने वाले घोर अन्धकार का भी वे लोग सफलता पूर्वक दमन कर देते हैं। इतना ही नहीं-आप सुख सौभाग्य की अक्षय भंडार हो-अत
आपके भक्तों के संपर्क में आने वाले अन्य सांसारिक जन भी आपकी कृपा के प्रभाव से पवित्र होजाते हैं।
हे देवकालि ! आपके भक्तों के मुख से जो सुखद उक्तियां निकलती हैं, उनका शुभपरिणाम चतुगुणित बन जाता है। वे लोग ज्ञान-विज्ञान और कला कौशल रूपी कृषि समूह के लिए बादलों का काम करते हैं-अर्थात् वर्षा होने पर जिस प्रकार कृषि ( खेती ) की पैदावार बढ जाती है, उसी प्रकार भक्तजनों की विद्या संबन्धी प्रवृत्तियां खूब फलती फूलती हैं। न केवल स्वदेश ही में, बल्कि दूसरे देशों तक मे उनके चरित्र की विशेषताओं का बखान किया जाता है। परन्तु यह सब महत्त्व उन्हीं लोगों को प्राप्त होता है जो आपके मङ्गलमय नाम का नियमित स्मरण करते हैं।
४-चण्डिका-उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से दक्षिण की ओर १६ मील पर चण्डी देवी का यह सुप्रसिद्ध प्राचीन मन्दिर है। उत्तर रेलवे की लखनऊ-सीतापुर लाइन पर चौथा स्टेशन 'वक्सी का तालाब' है । यहां एक विशाल ऐतिहासिक तालाब है जो कि इस प्रान्त में काफी प्रसिद्ध चला आता है। बक्सी महाशय शाही जमाने में किसी उच्च सरकारी पद पर आसीन थे और उन्होंने ही यह तालाब बनवाया था, तभी से यह स्थान उनके नाम से प्रसिद्ध होगया । तालाब का आकार प्रकार वास्तव मे कलात्मक और दर्शनीय है । उसे देखने पर सहज ही अनुमान किया जा सकता है कि शाही जमाने की छोटी-छोटी किन्तु सुन्दर लखोरी ई टों से बना हुआ, यह तालाब सचमुच किसी समय दर्शकों के आकर्षण की वस्तु रही होगी । निर्माणकर्ता ने प्राचीन भारतीय प्रथा के अनु सार जनता के लाभार्थ इस पर लाखों रुपये व्यय किये होंगे । किन्तु आजकल