Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 604
________________ नंदिणीपियगाहावइकहाणगं ३४९ नंदिणीपियस्स धम्मजागरिया २६४ तए णं तस्स नंदिणीपियस्स समणोवासगस्स बहूहिं सील-व्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावमाणस्स चोद्दस संवच्छराई वोइक्कंताई, पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-"एवं खलु अहं सावत्थीए नयरीए बहूणं-जावआपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे, सयस्स वि य णं कुडंबस्स मेढी-जाव-सव्वकज्जवड्ढावए, तं एतेण वक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपण्णत्ति उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। २६५ तए णं से नंदिणीपिया समणोवासए जेट्टपुत्तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधिपरिजणं च आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता सात्थि नरि मज्झमझेणं निगच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव पोसहसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दब्भसंथारयं संथरेइ, संथरेत्ता दब्भसंथारयं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुक्कमणिसुवणे ववगयमालावण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थमुसले एगे अबीए दन्भसंथारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपत्ति उपसंपज्जित्ता गं विहरड़ । २६६ मंदिणीपियस्स उवासगपडिमापडिवत्ती तए णं से नंदिणीपिया समणोवासए पढम उवासगपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तए णं से नंदिणीपिया समणोवासए पढम उवासगपडिम अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्च सम्म काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ । तए णं से नंदिणीपिया समणोवासए दोच्चं उवासगपडिम, एवं तच्चं, चउत्थं, पंचम, छटु, सत्तम, अट्ठमं, नवमं, दसमं, एक्कारसमं उवासगपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ । तए णं से नंदिणीपिया समणोवासए तेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अद्विचम्मावणदे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए । नंदणोपियस्स अणसणं २६७ तए णं तस्स नंदिणीपियस्स समणोबासगस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणसस्स अयं अज्झत्यिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुष्पज्जित्था-"एवं खलु अहं इमेणं एयारूवेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अद्विचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए । तं अत्थि ता मे उढाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे सद्धा-धिइ-संवेगे, तं जावता मे अत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वोरिए पुरिसक्कार-परक्कमे सद्धा-धिइ-संवेगे,-जाव-य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए-जाव-उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते अपच्छिममारणंतियसलेहणा-असणा-झूसियस्स भत्तपाण-पडियाइक्खियस्स, कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तए" । एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए-जाव-उट्टियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते अपच्छिममारणंतियसंलेहणा-झूसणा-झूसिए भत्तपाण-पडियाइक्खिए कालं अणवकंखमाणे विहरइ । २६८ मंदणीपियस्स समाहिमरणं देवलोगुप्पत्ती तयणंतरं सिद्धिगमणनिरूवणं च तए णं नंदिणीपिया समणोवासए बहुहिं सील-व्यय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहि अप्पाणं भावेत्ता, वीसं वासाई समणोवासगपरियायं पाउणित्ता, एक्कारस य उवासगपडिमाओ सम्म कारण फासित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सद्धि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता, आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणगवे विमाणे देवताए उववणे । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णता । नंदिणीपियस्स वि देवस्स चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता । "से णं भंते ! नंदिणीपिया ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गमिहिइ ? कहि उववज्जिहिइ ?" "गोयमा ! महाविदेहे दासे सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ मुच्चिहिइ सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ । उवासगदसाओ अ०९। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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