Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 697
________________ धम्मकहाणुओगे छट्ठो खंधो तए णं से विजए तक्करे धणं सत्थवाहं एवं वयासो--"जइ णं तुम देवाणुप्पिया! ताओ विपुलाओ असण-पाण-खाइम-साइमाओ संविभाग करेहि, तओ हं तुमहिं सद्धि एगंत अवक्कमामि"। तए णं से धणे सत्यवाहे विजयं तक्करं एवं वयासो-"अहं णं तुभं ताओ विपुलाओ असण-पाण-खाइम-साइमाओ संविभागं करिस्सामि"। तए णं से विजए तक्करे धणस्स सत्थवाहस्स एयम पडिसुणेइ । तए णं से धणे सत्थवाहे विजएण तक्करेण सद्धि एगते अवक्कमइ, उच्चारपासवणं परिवेइ, आयंते चोक्खे परमसुइभूए तमेव ठाणं उवसंकमित्ताणं विहरइ । धणेण विजयस्स संविभागदाणं ९३ तए णं सा भद्दा कल्लं पाउप्पभाए रयणीए-जाव-उट्टियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते विपुलं असणं पाणं खाइम साइमं उवक्खडेइ, जाव-धणं सत्थवाहं तेणं विपुलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं परिवेसेइ। तए णं से धणे सत्थवाहे विजयस्स तक्करस्स ताओ विपुलाओ असण-पाण-खाइम-साइमाओ संविभागं करेइ। पंथगण भद्दाए तन्निवेदणं ९४ तए णं से धणे सत्थवाहे पंथगं दासचेडयं विसज्जेइ । तए णं से पंथए भोयणपिडयं गहाय चारगाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता रायगिहं नयरं मज्झमझेणं जेणेव सए गिहे जेणेव भट्टा सत्थवाही तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भई [सत्यवाहि ?] एवं वयासी--एवं खलु देवाणुप्पिए! धणे सत्थवाहे तव पुत्तघायगस्स पुत्तमारगस्स अरिस्स वेरियस्स पडणीयस्स पच्चामित्तस्स ताओ विपुलाओ असण-पाण-खाइम-साइमाओ संविभागं करेइ । भद्दाए कोवो तए णं सा भद्दा सत्थवाही पंथगस्स दासचेडगस्स अंतिए एयम8 सोच्चा आसुरुत्ता रुट्टा कुविया चंडिक्किया मिसिमिसेमाणी धणस्स सत्थवाहस्स पओसमावज्जइ। ९६ धणस्स चारमुत्तो तए णं से धणे सस्थवाहे अण्णया कयाइ मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणेणं सएण य अस्थसारेणं रायकज्जाओ अप्पाणं मोयावेइ, मोयावेत्ता चारगसालाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छद, उवागच्छित्ता अलंकारियकम्म कारवेइ, कारवेत्ता जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहधोयमट्टियं गेण्हइ, गेण्हित्ता पोक्खरिणीं ओगाहइ, ओगाहिता जलमज्जणं करेइ, करेता पहाए कयबलिकम्मे कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए रायगिहं नगरं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता रायगिहस्स नगरस्स मझमझेणं जेणेव सए गिहे तेणेब पहारेत्य गमणाए । धणस्स सम्माणं ९७ तए णं तं धणं सत्थवाहं एज्जमाणं पासित्ता रायगिहे नयरे बहवे नगर-निगम-सेट्ठि-सत्थवाह-पभिइओ आदति परिजाणंति सक्कारेंति सम्माणेति अब्भुट्ठति सरीरकुसलं पुच्छति । तए णं से धणे सत्थवाहे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ । जा वि य से तत्थ बाहिरिया परिसा भवइ, तंजहा--दासा इ वा पेस्सा इ वा भयगा इ वा भाइल्लगा इ वा, सा वि य गं धणं सत्थवाहं एज्जमाणं पासइ, पायवडिया खेमकुसलं पुच्छ। जा वि य से तत्थ अभंतरिया परिसा भवइ, तंजहा--माया इ वा पिया इ वा भाया इ वा भइणी इ वा, सा वि य णं धणं सत्यवाहं एज्जमाण पासइ, आसणाओ अब्भुट्ठ इ, कंठाकंठियं अवयासिय बाह-प्पमोक्खणं करेइ । भहाए कोवोवसमपुव्वं सम्माणं ९८ तए णं से धणे सत्थवाहे जेणेव भद्दा भारिया तेणेव उवागच्छइ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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