Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan
View full book text
________________
२०
धर्मकथानुयोग
थावच्चापुत्त २.३४, २.४०, २.४२-४३, २.९९, २.१०४ थावर १.७५, २.६४-६५, २.११३, २.११८, २.१४८-१५०,
२.१५४-१५५ थिमि २.२० विरगुत्तखमासखमण २.१७४ थूभमह २.९९, ५.३८२ थूभकरंडउज्जाण २.१०७ थूलभद्द २.१७१-१७२, २.१७५ थेरावली २.१७१-१७२ थोव १.८६
तित्थाभिसेय १.३९-४० तित्थाहिवत्त १.५४ तिदंडिवय १.५४ तिन्न १.५६ तिमिसगुहा १.१२१-१२५, १.१३० तिरिक्खजोणिय १.५२,१.९० तिरिथजंभग १.६४ तिलग १.११६ तिलय १.१७, १.६०,१.१०१,१.१४३ तिविट्ठ १.१४४ तिविठ्ठ १.१४२-१४३ तिसला १.५७-५९, १.६१, १.६३-६८, १.९५ तीसगुत्त १.८८, ५.३८१ तीसभ६ २.१७२ तुगिय २.१७५, ४.२८९-२९० तुंगियायण १.११३, २.१७१ तुच्छकुल १.५७ तुच्छजीवी ५.३९२ तुच्छाहार ५.३९२ तुरगवर १.११४ तुसिया १.४५ तेउकाय १.७५, २.१६६ तेउलेस्सा ५.३९९ तेंदुग १.१०१ तेथलि ३.२१३, ३.२१६, ६.४९५ तेयलिपुत्त ३.२१२-२१८ तेयलिपुर ३.२११-२१२, ३.२१४, ३.२१७-२१८ तेथलेस्सा २.१६६ तेयवीरिय १.१३८ तेरासित ५.३८१ तेरासिय १.८८ तेलियापिया ४.३५० तोअधारा १.१८ तोयधारा १.६-७,१.१८ तोरण ४.२४९, ४.२५८-२५९ थणिय १.१५, १.७९
दंड १.२९, १.९१, १.११४, ४.२६९, ६.४२७, ६.४८१ दंडनायग २.१३३, २.१३९, ४.२७८, ४.३५८, ४.३६५, ४.३६९ दंडनीति १.४ दंडपाणि ४.२६८ दंडरयण १.१२३, १.१३२, १.१३६, १.१४१ दंडलक्खण २.७८, ४.३७५ दंडवीरिय १.१३८ दसणबलिय १.८२ दक्ख १.१५ दक्खिणकुल ४.२४४ दगपासायग ४.२६० दगमंचग४.२६० दगमंडव ४.२६० दगमट्रिय २.७८, ४.३७५ दगमालग ४.२६० दट्टी विससप्प २.१४३ दबधणु १.४ दढनेमि २.३४, ३.२०८ दढपइन्न ४.२८८ दढरह १.४,१.९५, २.१७ दढाऊ १.१०४ दत्त १.४, १.१४२, १.१४४.२.४९-५०, २.१०८, ६.४९०,
६.४९२-४९३
थमिअ २.२१ थवई रयण १.११९ थारुगिणिया १.११५ थालाई ४.२४४ थावच्चा २.३५, २.३६-३७
दद्रदुखडिसय ४.२९०, ४.२९४ दधिवण्ण १.१०१ दन्तवाणिय ४.२७५ दन्तुक्खालिय ४.२४४ दप्पण १.१७, १.११६ दम गपुरिस ३.१८५-१८६ दमघोससुय ३.१९१
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810