Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 785
________________ धर्मकथानुयोग पभावई १.२८, १.३०,१.३५-३६, १.३७, १.३८, १.४१, १.४४ ४५, १.४७, १.९५, २.५-६ पभावती १.२८, २.५-८, २.१३७, २.१३९ पभास १.१११, ४.२६३ पभासतित्थ १.१२० पभासतित्थोदग १.१२० पमयवण ३.२११, ३.२१८ पम्ह १.१३८ पम्हगावती १.१३८ पम्हावई १.१३८ पयाणुमारी १.८२ पयावती १.१४२ परवाय १.८३ परिणिव्वण १.२५, १.४८ परिनिव्वाणमहिम १.२४ परिभास १.४ परियाअंतकरभूमि १.२३ परियांतकडभूमि १.८८ परियायंतकडभूमि १.५०, १.५३ परियायतकरभूमि १.४८ परियायधम्म २.११५ परिव्वाइग १.३९ परिव्वझ्य १.३९-४० परिव्वायगधम्म २.३८ परिसडियकन्दमूलतयपत्तपुप्फफलाहार ४.२४४ परिसा १.१५, १.१६, १.२०, १.२६, १.४५, १.४७-४९, १.५२, १.५६, १.७०-७१, १.८०, १.८८, १.११२, २.३, २.१०, २.१२, २.१४, २.१८-१९, २.२२, २.२७, २.३८, २.३९, २.४३-४४, २.४७, २.४९-५०, २.५७, २.६०, २.६७, २.६९, २.८०,२.९२, २.९६, २.९९, २.१०२-१०५,२.१०७, २.१०९, २.१२३, २.१२७, २.१२९, २.१३१, -१३२, २.१३५, २.१३७, २.१६४, २.१७९, ३.२०५, ३.२१०, ३.२१७-२२०, ३.२२३-२२६, ३.२२८, ३.२३३, ३.२३७, ४.२४३, ४.२४६, ४.२५३, ४.२६७, ४.२७०-२७१, ४.२७५, ४.२८२, ४.२८५, ६.४२३, ६.४२६, ६.४४२, ६.४६०, ६.४७६, ६.४८४, ६.४९५ परीसह १.२०, १.५४, १.७६-७७, २.११५, २.१२७ पलालपुंज १.७६ पलास १.६० पलियट्ठाण १.७६ पल्हविया १.११५ पण १.७९ पवयणणिण्हग १.८८ पवयणनिण्हवअ ५.३८१ पवर १.५४-५५ पब्ववयमह ५.३८२ पव्वयअ १.१४२ पसंतजीवी ५.३९२ पसत्थार ५.३८२ पसाहणघरग ४.२६० पसिसा १.१०, ४.२४६ पसेणइ १.४, २.२०-२१ पहराय १.१४३ पहेलिय २.७८, ४.३७५ पाइण २.१७१-१७२ पाइत्तअ ४.३७३ पाइन्न २.१७५ पाओवगमन २.१२७ पाकसासण १.५६ पागसासण १.१० पागहिय १.९० पाडल १.१७, १.२८, १.६०, १.१०१,१.११६ पाडलिसंड ६.४८४ पाडिबुद्धि १.२९ पाडिस्सुइय १.१७ पाढ ४.४०७ पाण २.६१ पाणग १.१५ पाणय १.७९, २.९२, २.९७, २.१०९ पाणयकप्प १.५४ पाणविहि २.७८,४.३७५ पाणाइवाय १.३९ पाणातिवाय १.१०३-१०४ पाणामा २.६१ पाणु १.८६ पामिच्च १.९१, ४.३७३, ५.३८५ पायअ ५.३८५ पायत्त १.१७ पायत्ताणिया हिवइ १.१४, १.५८, ४.२४८-२४९ पायत्ताणीयाहिवइ १.११,१.१५ पारसी १.११५ पारिट्ठावणिआसमिइ १.२०,१.८३ पारिहासिय २.१७२ पालग १.७९-८० पालय १.१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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