Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 722
________________ उजिमययकहाणयं ४६७ तत्थ णं हत्थिणाउरे नयरे बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे गोमंडवे होत्था--अणेगखंभसयसनिबिटु पासाईए दरिसणिज्जे अभिरुवे पडिरूवे। तत्थ णं बहवे नगरगोरुवा सणाहा य अणाहा य नगरगावीओ य नगरबलीवहा य नगरपड्डियाओ य नगरवसभा य पउरतणपाणिया निब्भया निरुविभ्गा सुहंसुहेणं परिवसंति । हत्थिणाउरे भीमे कूडग्गाहे २१३ तत्थ णं हत्थिणाउरे नयरे भीमे नाम कूडग्गाहे होत्था--अहम्मिए-जाव-दुप्पडियाणंदे । २१४ तस्स णं भीमस्स कूडग्गाहस्स उप्पला नाम भारिया होत्था--अहोण-पडिपुण्ण-पंचिदियसरीरा। तए णं सा उप्पला कूडग्गाहिणी अण्णदा कयाइ आवण्णसत्ता जाया यावि होत्था । नगरगोरूवाण सणाताओ हि य ओट्टाहाण य ऊतेहि य व भीमस्स भारियाए उप्पलाए मंसभक्खणदोहलो २१५ तए णं तीसे उप्पलाए कूडग्गाहिणीए तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भूए--"धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, संपुण्णाओ गं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओ गं ताओ अम्मयाओ, कयपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयलक्खणाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयविहवाओ णं ताओ अम्मयाओ, सुलद्धे णं तासि माणुस्सए जम्मजीवियफले, जाओ णं बहूणं नगरगोरूवाणं सणाहाण य अणाहाण य नगरगावियाण य नगरबलीवदाण य नगरपड्डियाण य नगरवसभाण य ऊहेहि य थणेहि य वसहि य छप्पाहि य ककुहेहि य वहेहि य कण्णेहि य अच्छीहि य नासाहि य जिब्भाहि य ओठेहि य कंबलेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य परिसुक्केहि य लावणेहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधं च पसण्ण च आसाएमाणीओ वीसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभुजेमाणीओ दोहलं विणेति । तं जइ णं अहमवि बहूणं नगरगोरूवाणं-जाव-च पसणं च आसाएमाणी वीसाएमाणी परिभाएमाणी परिभुंजेमाणी दोहलं विणिज्जामि" त्ति कट्ट तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा नित्तया दीणविमणवयणा पंडुल्लइयमही ओमंथिय-नयणवदणकमला जहोइयं पुष्फ-बत्थ-गंध-मल्लालंकाराहारं अपरि भुंजमाणी करयलमलिय ब्व कमलमाला ओहयमणसंकप्पा करतलपल्लहत्थमुही अट्टज्झाणोवगया भूमिगयदिट्ठीया झियाइ। २१६ इमं च णं भीमे कूडग्गाहे जेणेव उप्पला कूडग्गाहिणी जेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता [उप्पलं कूडग्गाहिणि ?] ओहयमणसंकप्पं करतलपल्हस्थमुहि अट्टज्झाणोबगयं भूमिगयदिट्ठीयं झियायमाणिं पासइ, पासित्ता एवं बयासी--"कि णं तुम देवाणुप्पिए ! ओहयमणसंकप्पा करतलपल्हत्थमुही अट्टज्माणोवगया भूमिगयदिट्ठीया मियासि ?" सए णं सा उप्पला भारिया भीमं कूडग्गाहं एवं वयासी-“एवं खलु देवाणुप्पिया ! ममं तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दोहले पाउम्भू ए--धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ-जाव-परिसुक्केहि य लावणेहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसणं च आसाएमाणीओ वीसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभुंजेमाणीओ दोहलं विणेति । तए णं अहं देवाणुप्पिया! तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओलग्गसरीरा नित्तया दीणविमणवयणा पंडुल्लइयमही ओमंथिय-नयणवदणकमला जहोइयं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकाराहारं अपरिभंजमाणी करयलमलिय व्व कमलमाला ओहयमणसंकप्पा करतलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया भूमिगयबिट्ठीया झियामि ।" भीमेण दोहलपूरणं २१७ तए णं से भीमे कूडग्गाहे उप्पलं भारियं एवं वयासी--"मा णं तुम देवाणुप्पिया ! ओहयमणसंकप्पा करतलपल्हत्थमुही अट्टज्मा णोवगया भूमिगयबिट्ठीया झियाहि । अहं णं तहा करिस्सामि जहा णं तव दोहलस्स संपत्ती भविस्सइ"। ताहि इटाहि कंताहि पियाहि मणुण्णाहि मणामाहि वहि समासासेइ। तए णं से भीमे क डग्गाहे अद्धरत्तकालसमयंसि एगे अबीए सण्णद्ध-बद्धवम्मियकवए उप्पीलियसरासणपट्टीए पिणद्धगेवेज्जे विमलवरबद्ध-चिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे साओ गिहाओ निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता हत्थिणारं नयरं मझमझणं जेणेव गोमंडवे तेणेव उवागए बहूणं नगरगोरूवाणं सगाहाण य अणाहाण य नगरगावियाण य नगरबलीवहाण य नगरपड्डियाण य नगरवसभाण य-अप्पेगइयाणं ऊहे छिदइ, अप्पेगइयाणं थणे छिदइ, अप्पेगइयाणं वसणे छिदइ, अप्पेगइयाणं छप्पा छिवइ, अप्पेगइयाणं ककुहे छिदइ, वहे अप्पेगइयाणं छिदइ, अप्पेगइयाणं कण्णे छिदइ, अप्पेगइयाणं नासा छिदइ, अप्पेगइयाणं जिम्मा छिदइ, अप्पेगइयाणं ओढे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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