Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan
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४८०
बहस्सद्वत्तस्स वत्तमाणभववण्णणं
२७७ से णं तओ अनंतरं उवट्टित्ता इहेव कोसंबीए नयरीए सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ताए भारियाए पुत्तत्ताए उबवण्णे ।
तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो निव्वत्तबारसाहस्स इमं एयारूवं नामधेज्जं करेंति--जम्हा णं अम्हं इमे दारए सोमदत्तस्स पुरोहियस्स पुत्ते वसुदत्ताए अत्तए, तम्हा णं होउ अम्हं दारए बहस्सइदत्ते नामेणं ।
तए णं से बहस्सइदत्ते दारए पंचधाईपरिग्गहिए- जाव-परिवड्ढइ ।
२७८
तए णं से बहस्सइत्ते दारए उम्मुक्कबालभावे विण्णय-परिणयमेत्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते होत्था से णं उदयणस्स कुमारस्स पियबालवयंसए यावि होत्या सहजायए सहवड्ढियए सहपंसुकीलियए ।
धम्मक्राणुओगे धो
तए णं से सयाणिए राया अण्णया कयाइ कालधम्मुणा संजुत्ते ।
तए णं से उदयणे कुमारे बहूहि राईसर तलवर-माइंबिय कोटुंबिय इन्भ सेट्ठि सेणावइ-सत्थवाहप्पभिईहि सद्धि संपरिवुडे रोयमाणे कंदमाणे faran साणियस्स रण्णो महया इड्ढीसक्कारसमुदएणं नोहरणं करेइ, करेत्ता बहूई लोइयाई मयकिच्चाई करेइ । तए णं ते बहवे राईसर-तलवर-माइंबिय कोटुंबिय इन्भ-सेट्ठि सेणावइ-सत्थवाहप्पभितओ उदयणं कुमारं महया मया रायाभिसेएणं अभिसिचंति ।
सणं से उदय कुमारे राया जाए महयाहिमवंत-महंत मलय-मंदर-महिदसारे० ।
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बहस्सइदत्तस्स उदयणराण्णो रायमहिसीए भोगभुजणं
तए णं से बहस्सइदत्तं दारए उदयणस्स रण्णो पुरोहियकम्मं करेमाणे सव्बट्ठाणेसु सव्वभूमियासु अंतेउरे य दिण्णवियारे जाए यावि होत्या ।
लए णं से बहसले पुरोहिए उदयणस्स रष्णो अंडर वेला व अवेला व काले व अाले पराजय विआने व पविसमाणे अण्णया कमाइ पउमावईए देवीए सद्धि संपलणे यानि होत्या । पउमावईए देवीए सांड उरालाई मास्साई भोगभोगाई भुजमाणे विहर।
रायकया बहस्सइदत्त विडंबना
२७९ इमं च णं उदयणे राया हाए जाव-विभूसिए जेणेव पउमावई देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता बहस्सइदत्तं पुरोहियं पउमावईए देवीए सद्धि उरालाई माणुसमा भोग भोगाई भुजमाणं पासह, पासिता आमुस्ते तिलिय मिनिडाले साह महत्सइदलं पुरोहिय पुरिसेहि गिव्हावे, गिष्हावेत्ता अट्ठ- मुट्ठि-जाणु कोप्परपहार संभव-महियगतं करेह, करेला अवओडगबंधणं करेs, करेता एएणं विहाणेणं बज्झं आणवेइ ।
उवसंहारो
२८० एवं खलु गोयमा ! बहस्सइदत्ते पुरोहिए पुरा पोराणाणं दुच्चिण्णाणं दुष्प डिक्कंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फलवितिविधि परभवमाणे बिहरह
बहस्तइवत्तस्स आगामिभवकहा
२८१ बहसइत्ते णं भंते! पुरोहिए इस कालगाए समा कहि गछिहि ? कहि उपज ?
गोयमा ! बहस्सइदले गं पुरोहिए चोस वासाई परमाउं पालता अव तिमाणावसेसे दिवसे मूलभिण्णे कए समाने कालमासे कालं कि इमीसेरवणप्यभाए पुडवीए उक्कोससागरोवमदृइएस नेरइएस नेरइयलाए उवजिहिद ।
से णं तओ अनंतरं उब्वट्टित्ता एवं संसारो जहा पढमे-जा व वाउ-तेउ आउ - पुढवीसु अणेगसयस हस्सबुत्तो उद्दाइत्ता- उद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो - भुज्जो पच्चायाइस्सइ ।
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तओ हत्थिणाउरे नयरे मियत्ताए पच्चायाइस्सर । से णं तत्थ वाउरिएहि बहिए समाणे तत्थेव हत्थिणाउरे नयरे सेट्ठिकुलसि पुलला पञ्चायाहिर कोहि सोहम्मे महाविदेहे वासे सिदि
विवाग ० ० ५ ।
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