Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 733
________________ ४७८ धम्मकहाणुओगे छट्ठो खंधो तए णं से सुसेणे अमच्चे तं सगडं दारगं अण्णया कयाइ सुदरिसणाए गणियाए गिहाओ निच्छुभावेइ, निच्छुभावेत्ता सुदरिसणं गणियं अभितरियं ठवेइ, ठवेत्ता सुदरिसणाए गणियाए सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ। . गणियागिहाओ निद्धाडियस्स सगडस्स अमच्चकया विडंबणा २६७ तए णं से सगडे दारए सुदरिसणाए गणियाए गिहाओ निच्छुभेमाणे सुदरिसणाए गणियाए मुच्छिए गिद्धे गढ़िए अज्झोबवण्णे अण्णत्थ कत्थइ सुई च रइंच धिइंच अलभमाणे तच्चित्ते तम्मणे तल्लेस्से तवज्यवसाणे तबट्टोवउत्ते तयप्पियकरणे तब्भावणाभाविए सुवरिसणाए गणियाए बहूणि अंतराणि य छिद्दाणि य विवराणि य पडिजागरमाणे-पडिजागरमाणे विहरह। तए णं से सगडे बारए अण्णया कयाइ सुदरिसणाए गणियाए अंतरं लभेइ, लभेत्ता सुवरिसणाए गणियाए गिह रहसियं अणुप्प विसइ, अणुप्पविसित्ता सुदरिसणाए सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरह। २६८ इमं च णं सुसेणे अमच्चे ण्हाए-जाव-विभूसिए मणुस्सवणुरापरिक्खित्ते जेणेव सुदरिसणाए गणियाए गिहे तेणेव उवागच्छइ. उवाग च्छित्ता सगडं दारयं सुदरिसणाए गुणियाए सद्धि उरालाई भोगभोगाई भुंजमाणं पासइ, पासित्ता आसुरुत्ते-जाव-मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिडि निडाले साहट्ट सगड दारयं पुरिसेहिं गिण्हावेई, गिण्हावेत्ता अट्ठि-मुट्ठि-जाणु-कोप्पर-पहारसंभग्गं महियगत्तं करेइ, करेत्ता अवओडयबंधणं करेइ, करेता जेणेव महचंदे राया तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट महचंदं रायं एवं वयासी--"एवं खलु सामी! सगडे दारए ममं अंतेउरंसि अवर?"। २६९ तए णं से महचंदे राया सुसेणं अमच्चं एवं वयासी--तुम चेव णं देवाणुप्पिया! सगडस्स दारगस्स दंडं बत्तेहि । तए णं से सुसेणे अमच्चे महचंदेणं रण्णा अब्भणुष्णाए समाणे सगडं दारयं सुदरिसणं च गणियं एएणं बिहाणेणं वज्झं आणवेइ । उवसंहारो २७० तं एवं खलु गोयमा! सगडे दारए पुरा पोराणाणं दुचिण्णाणं दुप्पडिक्कंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फलवित्ति बिसेस एच्चणुभवमाणे विहरइ । २७१ सगडस्स आगामिभवकहा सगडे णं भंते ! दारए कालगए कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा! सगडे णं दारए सतावण्णं वासाई परमाउं पालइत्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे एगं महं अयोमयं तत्तं समजोइभयं इत्थिपडिम अवतासाविए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयत्ताए उववज्जिहिइ । से गं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता रायगिहे नयरे मातंगकुलंसि जमलत्ताए पच्चायाहिए । तए णं तस्स दारगस्त अम्मापियरो निव्वत्तबारसाहस्त इमं एयारूवं नामधेज्जं करिस्संति--तं होउ णं दारए सगडे नामेणं, होउ णं दारिया सुडरिसणा नामेणं । तए णं से सगडे दारए उम्मुक्कबालभावे विष्णय-परिणयमेत्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते भविस्सइ । तए णं सा सुदरिसणा वि दारिया उम्मुक्कबालभावा विण्णय-परिणयमेत्ता जोव्वणगमणुप्पत्ता स्वेण य जोव्वर्णण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किटुसरीरा भविस्सइ । तए णं से सगड़े दारए सुदरिसणाए स्वेण य जोव्वर्णण य लावण्णेण य मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववण्णे सुदरिसणाए भइणीए सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरिस्सइ । तए णं से सगडे दारए अण्णया कयाइ सयमेव कूडग्गाहत्तं उवसंपज्जित्ताणं विहरिस्सइ ।। तए णं से सगडे दारए कूडग्गाहे भविस्सइ-अहम्मिए-जाव-दुप्पडियाणंदे, एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमायारे सुबहुं पावकम्म समज्जिणित्ता कालमासे कालं किच्चा इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएसु नेरइयत्ताए उववज्जिहिइ, संसारो तहेव-जाव-वाउ-तेउआउ-पुढवीसु अणेगसयसहस्स-खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाइस्सइ। से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता वाणारसीए नयरीए मच्छत्ताए उववज्जिहिइ। से णं तत्थ मच्छबंधिएहि वहिए तत्येव वाणारसीए नयरीए सेट्रिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ । बोहि, पव्वज्जा, सोहम्मे कप्पे, महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । विवागसुयं सु० १ ० ४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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