Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 732
________________ सगडकहाणयं ४७७ बहवे पुरिसे पासइ । तेसि च णं पुरिसाणं मझगयं पासइ एगं सइत्थियं पुरिसं अवओडयबंधणं उक्खित्त-कण्णनासं-जाव-खंडपडहेण उग्घोसिज्जमाणं इमं च णं एयारूवं उग्घोसणं सुणेइ--नो खलु देवाणुप्पिया! सगडस्स दारगस्स केइ राया वा रायपुत्तो वा अवरज्मइ, अप्पणो से सयाई कम्माई अवरझंति । सगडस्स छन्नियछागलियभववण्णणं २६० तए णं भगवओ गोयमस्स चिता तहेव-जाव-भगवं वागरेइ--एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे नामं नयरे होत्था। तत्थ णं सीहगिरी नामं राया होत्था-महयाहिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे । २६१ तत्थ णं छगलपुरे नयरे छनिए नाम छागलिए परिवसइ--अड्ढे-जाव-अपरिभए, अहम्मिए-जाव-दुप्पडियाणंदे । _तस्स णं छन्नियस्स छागलियस्स बहवे अयाण य एलयाण य रोज्झाण य वसभाण य ससयाण य सूयराण य पसयाण य सिंहाण य हरिणाण य मयूराण य महिसाण य सयबद्धाणि सहस्सबद्धाणि य जूहाणि बाडगंसि संनिरुद्धाइं चिट्ठति। .. अण्णे य तत्थ बहबे पुरिसा दिण्णभइ-भत्त-वेयणा बहवे अए य-जाव-महिसे य सारक्खमाणा संगोवेमाणा चिट्ठति । छन्नियस्स मंसासणं, मंसवाणिज्य अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्णभइ-भत्त-वेयणा बहवे अए य-जाव-महिसे य जीवियाओ बवरोवेति, ववरोवेत्ता मंसाई कप्पणीकप्पियाइं करेंति, करेत्ता छन्नियस्स छागलियस्स उवणेति । अण्णे य से बहवे पुरिसा ताई बहुयाई अयमंसाई-जाव-महिसमसाइ य तवएसु य कवल्लीसु य कंदुसु य भज्जणेसु य इंगालेसु य तलेंति य भज्जेंति य सोल्लेंति य, तलेता य भज्जेत्ता य सोल्लेत्ता य तओ रायमगंसि वित्ति कप्पेमाणा विहरति । अप्पणा वि य णं से छनिए छागलिए तेहि बहि अयमंसेहि य-जाव-महिस-मंसेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाई च सीधं च पसण्णं च आसाएमाणे वीसाएमाणे परिभाएमाणे परिभुंजेमाणे विहरइ । छन्नयस्स मरणं निरयोववाओ य २६३ तए ण से छन्निए छागलिए एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमायारे सुबहुं पावकम्मं कलिकलुसं समज्जिणित्ता सत्त वाससयाई परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा चोत्थीए पुढवीए उक्कोसेणं दससागरोवमठिइएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उबवण्णे । सगडस्स वत्तमाणभवकहा। २६४ तए णं सा सुभद्दस्स सत्थवाहस्स भद्दा भारिया जार्यानदुया यावि होत्था--जाया-जाया दारगा विणिहायमावजंति। तए णं से छन्निए छागलिए चोत्थीए पुढ़वीए अणंतरं उच्चट्टित्ता इहेव साहंजणीए नयरीए सुभद्दस्स सत्थवाहस्स भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उबवण्णे । तए णं सा भद्दा सत्थवाही अण्णया कयाइ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाया। दारयस्स सगडनामकरणं गिहाओ निद्धाडणं वेसाइ वसणित्तं च २६५ तए णं तं दारगं अम्मापियरो जायमेत्तं चेव सगडस्स हेटुओ ठवेति, दोच्चं पि गिण्हावेति, अणुपुव्वेणं सारक्खंति संगोति संवड्डेति, जहा उज्झियए-जाव-जम्हा गं अम्हं इमे दारए जायमेत्तए चेव सगडस्स हेटुओ ठविए, तम्हा णं होउ अम्हं दारए सगडे नामेणं । सेसं जहा उज्झियए। सुभद्दे लवणसमुद्दे कालगए, माया वि कालगया। से वि साओ गिहाओ निच्छूढे । २६६ तए णं से सगडे दारए साओ गिहाओ निच्छुढे समाणे साहंजणीए नयरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापहपहेसु जूय खलएस वेसघरएसु पाणागारेसु य सुहंसुहेणं परिवड्ढइ ।। तए णं से सगडे दारए अणोहट्टए अणिवारिए सच्छंदमई सइरप्पयारे मज्जप्पसंगी चोर-जय-वेस-दारप्पसंगी जाए यावि होत्था । तए णं से सगडे अण्णया कयाइ सुरिसणाए गणियाए सद्धि संपलग्गे यावि होत्था । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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