Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 749
________________ ४९४ धम्मकहाणुओग छट्ठो खंधो नाणं तोसे नए संकप्पे सारालाई माणुस्ती ववरोवे दएणं सीओदएणं गंधोदएणं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं भोयावेइ, भोयावेत्ता सिरीए देवीए पहायाए कयबलिकम्माए कयकोउय-मंगलं-पायच्छित्ताए जिमियभुत्तुत्तरागयाए तओ पच्छा पहाइ वा भुंजइ वा, उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरई। देवदत्ताए पूसनंदिमाउणो मारणं ३३३ तए णं तोसे देवदत्ताए देवीए अण्णया कयाइ पुव्यरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंबजागरियं जागरमाणीए इमेयारूबे अज्झथिए चितिए कप्पिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पण्णे--“एवं खलु पूसनंदी राया सिरीए देवीए माइभत्ते-जाव-विहरइ। तं एएणं वक्खेवेणं नो संचाएमि अहं पूसनंदिणा रण्णा सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणी विहरित्तए । तं सेयं खलु ममं सिरिदेविं अग्गिपओगेण वा सत्थप्पओगेण वा विसप्पओगेण बा जीवियाओ ववरोवेत्ता पूसनंदिणा रण्णा सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणीए विहरित्तए"-एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता सिरीए देवीए अंतराणि य छिद्दाणि य विवराणि य पडिजागरमाणी विहरइ। तए णं सा सिरी देवी अण्णया कयाइ मज्जाइया विरहियसयणिज्जंसि सुहपसुत्ता जाया यावि होत्था। इमं च णं देवदत्ता देवी जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सिरि देवि मज्जाइयं विरहियसणिज्जंसि सुहपसुत्तं पासइ, पासिता दिसालोयं करेइ, करेत्ता जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता लोहदंड परामसइ, परामसित्ता लोहदंड तावेइ, तत्तं समजोइभूयं फुल्लकिसुयसमाणं संडासएणं गहाय जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सिरीए देवीए अवाणसि पक्खिवइ। तए णं सा सिरी देवी महया-महया सद्देणं आरसित्ता कालधम्मणा संजुत्ता। तए णं तीसे सिरीए देवीए दासचेडीओ आरसियसई सोच्चा निसम्म जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छंति, उवाच्छित्ता देवदत्तं देवि तओ अवक्कममाणि पासंति, पासित्ता जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छंति, उवागनिछत्ता सिरि देवि निप्पाणं निच्चेजें जीवियविप्पजढं पासंति, पासित्ता, हा हा! अहो! अकज्जमिति कटु रोयमाणीओ कंदमाणीओ विलबमाणीओ जेणेव पूसनंदी राया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता पूसनंदि रायं एवं बयासी--एवं खलु सामी! सिरी देवी देवदत्ताए देवीए अकाले चेव जीवियाओ ववरोविया। तए णं से पूसनंदी राया तासि दासचेडीणं अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म महया माइसोएणं अप्फुण्णे समाणे परसुनियत्ते विव चंपगवरपायवे धस त्ति धरणीयलंसि सव्वंहि संनिवडिए । पूसनंदिकओ देवदत्तादंडो तए णं से पूसनंदी राया मुहत्तंतरेण आसत्थे समाणे बहूहि राईसर-तलवर-माइंबिय-कोडुबिय-इन्भ-सेटि-सेणावइ-सत्यवाहेहि मित्तनाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणेण य सद्धि रोयमाणे कंदमाणे बिलवमाणे सिरीए देवीए महया इड्ढीए नोहरणं करेइ, करेत्ता आसुरुत्ते रुठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे देवदत्तं देवि पुरिसेहि गिव्हावेइ, एएणं विहाणेणं वनं आणवेइ। उवसंहारो ३३५ तं एवं खलु गोयमा! देवदत्ता देवी पुरा पोराणाणं दुच्चिण्णाणं दुप्पडिक्कताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फल वित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणी विहरह। देवदत्ताए आगामिभव परूवणं ३३६ देवदत्ता णं भंते ! देवी इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिहिइ ? कहिं उवबज्जिहिह। गोयमा ! असीई वासाई परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएसु नेरइयत्ताए उववज्जिहिइ। संसारो [तहेव-जाव-?] वणस्सई । तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता गंगपुरे नयरे हंसत्ताए पच्चायाहिह । से णं तत्थ साउणिएहि वहिए समाणे तत्थेव गंगपुरे नयरे सेट्टिकुलंसि उवज्जिहिइ। बोही। सोहम्मे । महाविदेहे वासे सिजिमहिइ । विवागसुयं सु० १ अ० ९। ३३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810