Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 727
________________ ४७२ धम्मकहाणुओगे छट्ठो खंधो एवं तच्चे चच्चरे अट्ठ महापिउए, चउत्थे अट्ठ महामाउथाओ, पंचमे पुत्ते, छठे सुहाओ, सत्तमे जाम.उया, अट्टमे धूयाओ, नवमे नलया, दसमे नत्तु ईओ, एक्कारसमे नत्तुयावई, बारसमे नत्तुइगीओ, तेरसमे पिउस्सियपइया, चोद्दसमे पिउस्सियाओ, पण्णरसमे माउस्सियापइया, सोलसमे माउस्सियाओ, सत्तरसमे मामियाओ, अट्ठारसमे अवसेसं मित्त-नाइ-नियग-सयणसंबंधि-परियणं अग्गओ घाएंति, घाएत्ता कसप्पहारेहि तासेमाणा-तासेमाणा कलुणं काकणिमसाई खाति, रुहिरपाणं च पाएंति । २३७ तए णं भगवओ गोयमस्स तं पुरिसं पासित्ता अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए कप्पिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पण्णे--"अहो णं इमे पुरिसे पुरा पोराणाणं दुच्चिण्णाणं दुप्पडिक्कंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणे विहरइ। न मे हिट्ठा नरगा वा नेरइया वा। पच्चक्खं खलु अयं पुरिसे निरयपडिरूवियं वेयणं वेएइ" त्ति कटु पुरिमताले नयरे उच्च-नीय-मज्झिम-कुलाइं अडमाणे अहापज्जत्तं समुदाणं गिण्हइ, गिण्हित्ता पुरिमताले नयरे मज्झमझेणं पडिनिक्खमइ-जाव-समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, बंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी--एवं खलु अहं भंते ! तुहि अब्भणुण्णाए समाणे पुरिमताले नयरे -जाव-तहेव सव्वं निवेएइ। अभग्गसेणस निन्नयभवकहा २३८ से णं भंते ! पुरिसे पुव्वभवे के आसी? कि नामए वा कि गोत्ते वा? कयरंसि गामंसि वा नयरंसि वा? किं वा दच्चा कि वा भोच्चा कि वा समायरित्ता, केसि वा पुरा पोराणाणं दुच्चिण्णाणं दुप्पडिकंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणे विहरइ ?" २३९ एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पुरिमताले नाम नयरे होत्था--रिद्धस्थिमियसमिद्धे। तत्थ णं पुरिमताले नयरे उदिओदिए नाम राया होत्था--मयाहिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे। तत्थ णं पुरिमताले निम्नए नाम अंडय-वाणियए होत्था--अड्ढे-जाव-अपरिभए, अहम्मिए अधम्माणुए अधम्मिटठे अधम्मक्खाई अधम्मपलोई अधम्मपलज्जणे अधम्मसमुदाचारे अधम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणे दुस्सीले दुव्वए दुप्पडियाणंदे । २४० निन्नयस्स अंडवाणिज्ज अंडाइअसणं निरयोववाओ य तस्स णं निन्नयस्स अंडय-वाणियस्स बहवे पुरिसा दिण्णभइ-भत्त-वेयणा कल्लाल्लि कुहालियाओ य पत्थियपिडए य गिण्हंति, गिण्हित्ता पुरिमतालस्स नयरस्स परिपेरंतेसु बहवे काइअंडए य घुइअंडए य पारेवइअंडए य टिट्टिभिअंडए य बगिअंडए य मयूरिअंडए य कुक्कुडिअंडए य, अण्णेसि च बहूणं जलयर-थलयर-खहयरमाईणं अंडाइं गेहंति, गेण्हित्ता पत्थियपिडगाई भति, भरेत्ता जेणेव निन्नए अंडवाणियए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता निम्नयस्स अंडवाणियस्स उवणेति । तए णं तस्स निन्नयस्स अंडवाणियगस्स बहवे पुरिसा दिण्णभइ-भत्त-वेयणा बहवे काइअंडए य-जाव-कुक्कुडिअंडए य, अण्णेसि च बहूणं जलयर-थलयर-खहयरमाईणं अंडए तबएसु य कबल्लीसु य कंडसु य भज्जणएमु य इंगालेसु य तलति भजेति सोल्लेति, तलेता भज्जेता सोल्लेत्ता य रायमग्गे अंतरावर्णसि अंडयपणिएणं वित्ति कप्पेमाणा विहरंति। अप्पणा वि णं से निन्नयए अंडवाणिवए तेहि बहि काइअंडएहि य-जाव-कुक्कुडिअंडएहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसण्णं च आसाएमाणे बीसाएमाणे परिभाएमाणे परिभुंजेमाणे विहरइ । तए णं से निन्नए अंडवाणियए एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमायारे सुबहुं पावकम्मं समज्जिगित्ता एगं वाससहस्स परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा तच्चाए पुढवीए उक्कोसेणं सत्तसागरोवमठिइएसु नरएसु नेरइयत्ताए उववण्णे । अभग्गसेगस्स वत्तमाणभव-बण्णणं २४१ से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेब सालाडवीए चोरपल्लीए विजयस्त चोरसेणावइस्त खंदसिरीए भारियाए कुच्छिसि पुतताए उववण्णे । २४२ खंदसिरीए दोहलो तए णं तोसे खंदसिरोए भारियाए अण्णया कयाइ तिहं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं इमे एयारूवे दोहले पाउन्भूए-“धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाओ णं बहूहि मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणमहिलाहिं, अण्णाहि य चोरमहिलाहिं सद्धि संपरिबुडा व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउय-मंगल-पायच्छिता सव्वालंकारविभसिया विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं सुरं च महुं च मेरगं च जाई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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