Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan
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कूणियस्स महावीर समवसरणगमण-धम्मसवणपसंगो
आविद्धमणिसुवण्णा कप्पियहार-द्धहार-तिसर-पालब-पलबमाणकडिसुत्तसुकयसोहाभरणा पयर वत्थपरिहिया [वाचनान्तरे-जाणगया जुग्गगया गिल्लिगया थिल्लिगया पवहणगया चंदणोलितगायसरीरा , अप्पेगइया हयगया, एवं गयगया रहगया सिबियागया संदमाणियागया अप्पेगइया पायविहारचारेणं पुरिसवगुरापरिक्खित्ता [क्वचित्-वग्गाधग्गि गुम्मागुम्मि] महया उक्किट्ठिसीहणायबोलकलकलरवेणं पक्खुब्भियमहासमुद्दरवभूयं पिव करेमाणा [क्विचित्-पायदद्दरेण भूमि कंपेमाणा, अंबरतलं पिव फोडेमाणा एगदिसि एगाभिमुहा] चंपाए णयरीए मज्झमज्झणं णिग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते छत्तादीए तित्थयराइसेसे पासंति, पासित्ता जाणवाहणाई ठावयंति, [क्वचित्-विट्ठभंति], ठावइत्ता जाण-वाहणेहितो पच्चोरुहंति, पच्चोरुहित्ता [वाचनान्तरे-जाणाई मयंति, वाहणाई विसज्जेति, पुप्फ-तबोलाइयं आउहमाइयं सचित्तालंकारं पाहणाओ य विसर्जेति, एगसाडियं उत्तरासंगं करेंति, आयंता चोक्खा परसुइभूया अभिगमेणं अभिगच्छंति, चक्खुफासे एगत्तीभावकरणेणं] जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छिता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेंति, करिता वंदंति णमस्संति, वंदित्ता णमस्सित्ता पच्चासणे णाइदूरे सुस्सूसमाणा णमंसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासंति । वाचनान्तरे-तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासंति, काइयाए सुसमाहियपसंतसाहरियपाणि पाया अंजलिमउलिबहत्था, वाइयाए एवमेयं भंते, अवितहमेयं असंदिद्धमेयं, इच्छियमेयं, पडिच्छियमेयं इच्छियपडिच्छियमेयं, सच्चे णं एस अछे, माणसियाए--तच्चित्ता तम्मणा तल्लेसा तदझवसिया तत्तिव्यज्झवसाणा तदप्पियकरणा तट्ठोवउत्ता तब्भावणाभाविया एगमणा अविमणा अणण्णमणा जिणवयणधम्माणुरागरत्तमणा वियसियवरकमलनयण-वयणा पज्जुवासंति । समोसरणाई गवेसह आगंतारेसु वा आरामागारेसु वा आएसणेसु वा आवसहेसु वा पणियगेहेसु वा पणियसालासु वा जाणगिहेसु वा जाणसालासु वा कोट्ठागारेसु वा सुसाणेसु वा सुण्णागारेसु वा परिहिंडमाणा परिघोलेमाणा।]
भगवंतपवित्तिवावडपुरिसेण कोणियस्स पुरओ भगवओ आगमणस्स निवेयणं ३१९ तए णं से पवित्तिवाउए इमीसे कहाए लद्धठे समाणे हद्वतुट्ठ-जाव-हियए हाए-जाव-अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ
पडिणिक्खमइ, सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमित्ता चंपाणयरि मसंमज्झेणं ०, जेणेव बाहिरिया, सा चेव हेट्ठिल्ला बत्तन्वया-जाथणिसीयइ, णिसीइत्ता तस्स पवित्तिवाउयस्स अद्धत्तेरस सयसहस्साई पीइदाणं दलयह, दलइत्ता सक्कारेइ सम्माणेड, सक्कारिता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ।
कोणियस्स महावीरदसणठं संकप्पो सविडिढए समवसरणे गमणं पत्थाणं च ३२० तए णं से कूणिए राया भभसारपुत्ते बलवाउयं आमंतेइ आमंतेत्ता एवं वयासि--"खिप्पामव भो देवाणप्पिया ! आभिसेक्कं हत्थि
रयणं पडिकप्पेहि, हय-गय-रहपवरजोहकलियं च चाउरंगिणि सेणं सण्णाहेहि, सुभद्दापमुहाण य देवीणं बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडियक्कपाडियक्काई जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई उवट्टवेहि, चं च णरि सब्भितरबाहिरियं [फवचित्--आसियसम्मज्जिओवलितं सिंघाडगतियचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु] आसित्त-सित्त-सुइसम्मट्ठरत्यंतरा-ऽऽवण-वीहियं मंचा मंचकलियं णाणाविहरागउच्छियज्झयपडागाइपडागमंडियं लाउल्लोइयमहियं गोसीससरसरत्तचंदण-जाव-गंधवट्टिभूयं करेहि य कारवेहि य, करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि । णिज्जाहिस्सामि समणं भगवं महावीरं अभिवंदिए।" तए णं से बलवाउए कूणिएणं रणा एवं वृत्ते समाणे हद्दतुट्ठ-जाव-हियए करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु ‘एवं सामि'त्ति आणाए विगएणं वयणं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता एवं हत्थिवाउयं आमंतेइ आमंतेत्ता एवं क्यासि--"खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! कूणियस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेहि हय-य-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिणि सेणं सण्णाहेहि सण्णाहेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि"। तए णं से हत्थिवाउए बलवाउयस्स एपमह्र सोच्चा आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ पडिसुणित्ता छेयापरियउवए-समइकप्पणाविकप्पेहि सुणिउणेहिं उज्जलगेवत्थहत्थपरिवत्थियं सुसज्जं धम्मियसण्णद्धबद्धकवइयउपोलियकच्छवच्छगेवेयबद्धगलवरभूसणविरायंतं अग्गिननेयजुत्तं सललियवरकण्णपूरविराइयं पलंबओचूलमयर कयंधयारं चित्तपरिच्छेयपच्छ्यं पहरणावरणभरियजुद्धसज्जं सच्छत्तं सज्झयं सघंटे सपडागं पंचामेलयपरिमंडियाभिरामं ओसारियजमलजुयलघंट, विज्जुपिणद्धं व कालमेह, उप्पाइयपव्ययं व चंकमंतं, मत्तं गुलगुलंतं मणपवणजइणवेगं भीमं संगामियाओज्जं आभिसेक्कं हस्थिरयणं पडिकप्पे, पडिकप्पेत्ता हय-य-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिणि सेणं सण्णा हेइ, सण्णाहित्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणइ । तए णं से बलबाउए जाणसालियं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी--"खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! सुभद्दापमुहाणं देवीणं बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडियक्कपाडियक्काइं जत्ताभिमुहाईजुत्ताईजाणाई उचट्टवेहि, उबट्टवेत्ता एयमाणत्तियं परचप्पिणाहि।"
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