Book Title: Dhammakahanuogo
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
Publisher: Agam Anuyog Prakashan
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३७४
धम्मकहाणुओगे चउत्यो खंधो
मागहए य आढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, से वि य वहमाणए-जाव-णो चेव णं अदिष्णे, से विय सिणाइत्तए णो चेवणं हत्यपायचरुचमसपक्खालणट्ठयाए पिवित्तए वा। अम्मडस्स णो कप्पइ अण्णउस्थिया वा अण्णउत्थियदेवयाणि वा अण्णउत्थियपरिग्गहियाणि वा चेइयाई बंदित्तए वा णभंसित्तए वा -जाव-पज्जुवासित्तए वा, णण्णत्थ अरिहंते वा अरिहंतचेइयाई वा।
अम्मडस्स देवभवो ३३३ "अम्मडे णं भंते ! परिव्वायए कालमासे कालं किच्चा कहिं गरिछहिति ? कहि उववज्जिहिति ?"
"गोयमा! अम्मडे णं परिव्वायए उच्चावहिं सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाणपोसहोववासेहि अप्पाणं भावमाणे बहूई वासाई समणोवासयपरियायं पाउणिहिति, पाउणित्ता मासियाए सलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता संढि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता आलोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उक्वज्जिहिति । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। तत्थ णं अम्मडस्स वि देवस्स दस सागरोवमाई ठिई।
अम्मडस्स दढप्पइण्णभवनिरूवणे दढप्पइण्णस्स जम्मो ३३४ “से णं भंते ! अम्मडे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चहत्ता कहि गच्छिहिति कहि उव
वज्जिहिति ?"
अम्मडस्स दढपइण्णभवो गोयमा ! महाविदेहे वासे जाई कुलाई भवंति अढाई दित्ताई वित्ताई वित्थिग्णविउलभवणसयणासणजाणवाहणाई बहुधणजायरूवरययाई आओगपओगंसपउत्ताई विच्छड्डियपउरभत्तपाणाई बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूयाई बहुजणस्स अपरिभूयाई तहप्पगोरसु कुलेसु पुमत्ताए पच्चायाहिति । तए णं तस्स दारगस्स गब्भत्थस्स चेव समाणस्स अम्मापिईणं धम्मे दढा पइण्णा भविस्सइ। से णं तत्थ णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धमाणं राइंदियाणं वीइक्कंताणं सुकुमालपाणिपाए-जाव-ससिसोमाकारे ते पियदसणे सुरुवे दारए पयाहिति । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं काहिति, बिइयदिवसे चंदसूरदंसणियं काहिंति, छठे दिवसे जागरियं काहिति, एक्कारसमे दिवसे वीइक्कते णिवत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे दिवसे अम्मापियरो इमं एयारूवं गोणं गुणणि(फण्णं णामधेज्ज काहिति--'जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि गब्भत्थंसि चेव समाणंसि धम्मे दढपइण्णा तं होउ णं अम्हं दारए दढपइण्णे गामेणं'। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णामधेज करेहिति 'दढपइण्णे' ति। [पुस्तकान्तरगतोऽधिकः पाठः-तए णं तस्स दढपइण्णस्स अम्मापियरो अणुपुवेणं ठिइवडियं चंदसूरदरिसणं च जागरियं नामधेज्जकरणं परंगमणं च पचंकमणगं च पच्चक्खाणगं च जेमणगं च पिंडवद्धावणं च पजंपावणं च कण्णवेहणगं च संवच्छरपडिलेहणगं च चोलोवणयणं च उवणयणं च अण्णाणि य बहूणि गब्भादाणजम्मणमाइयाइं कोउयाई महया इड्ढिसक्कारसमुदएणं करिस्संति। तए णं से दढपइण्णे दारए पंचधाइपरिक्खित्ते, तं जहा--खीरधाईए मज्जणधाईए मंडणधाईए अंकधाईए कीलावणधाईए अण्णाहि य बहूहिं खुज्जाहिं चिलाइयाहि विदेसपरिमंडियाहिं सदेसनेवच्छगहियवेसाहि विणीयाहिं इंगियचितियपत्थियक्यिाणियाहिं निउणकुसलाहिं चेडियाचक्कावालवरतरुणिवंदपरियालसंपरिवुडे वरिसधरकंचुइज्जमहत्तरगवंदपरिक्खिते हत्थाओ हत्थं साहरिज्जमाणे साहरिज्जमाणे, अंकाओ अंकं परिभुज्जमाणे परिभुज्जमाणे उवनच्चिज्जमाणे उवनच्चिज्जमाणे उवगाइज्जमाणे उवगाइज्जमाणे उक्लालिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे उवगहिज्जमाणे उवगहिज्जमाणे अवयासिज्जमाणे अवयासिज्जमाणे परियंदिज्जमाणे परियंदिज्जमाणे परिचु बिज्जमाणे परिचुंबिज्जमाणे रम्मसु मणिकुट्टिमतलेसु परंगिज्जमाणे परंगिज्जमाणे गिरिकंदरमल्लीणे विव चंपगवरपायवे निवायनिव्वाधायं सुहंसुहेणं परिवढिस्सइ।]
वढप्पइन्नस्स कलागहणं ३३५ तं दढपइण्णं दारगं अम्मापियरो साइरेगट्ठवासजायगं जाणिता सोभगंसि तिहिकरणदिवसणक्खत्तमुहत्तंप्ति कलायरियस्स उवहिति ।
तए णं से कलायरिए तं दढपइण्णं दारगं लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणरुयपज्जवसाणाओ वावत्तरिकलाओ सुत्तओ य अत्थओ य करणओ य सेहाविहिति सिक्खाविहिति, तं जहा--लेहं गणियं रूवं णटुं गीयं वाइयं सरगयं पुक्खरगयं समतालं जूयं जणवायं
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