Book Title: Chandana Author(s): Niraj Jain Publisher: Bharatiya Gyanpith View full book textPage 8
________________ प्रस्तावना । महासती चन्दना जैन साहित्य और पुराणों की एक सम्मानित पात्र है। प्रायः सभी पुराणकारों ने चन्दना के साहस, साधना और शील की महिमा गायी है। एक आदर्श श्राविका और आदर्श साध्वी के रूप में उन्हें स्मरण किया गया है। पौराणिक आख्यानों और ऐतिहासिक सन्दर्भो के अनुसार महासती चन्दना वज्जिसंघ की राजधानी वैशाली के लिच्छवि राजा चेटक और महारानी सुभद्रा की सबसे छोटी पुत्री थी। महाराजा चेटक का परिवार धर्मनिष्ठ परिवार था। राजा की एक बहन यशस्वती के दीक्षित होकर आर्यिका बनने का भी उल्लेख मिलता है। राजा चेटक के दस पुत्र और सात पुत्रियाँ, ऐसी सत्रह सन्तानों का सन्दर्भ पुराणों में है। उनके पुत्रों के नाम थे-धनदत्त, धनभद्र, उपेन्द्र, सुदत्त, सिंहभद्र, सुकुम्भोज, अकम्पन, पतंगक, प्रभंजन और प्रभास। इनमें सिंहभद्र वज्जिगण के प्रधान सेनापति के पद को भी सुशोभित करता रहा। महाराजा चेटक और महारानी सुभद्रा की सात पुत्रियाँ थीं-प्रियकारिणी त्रिशला, मृगावती, सुप्रभा, प्रभावती, चेलना, ज्येष्ठा और चन्दना। ज्येष्ठ पुत्री त्रिशला प्रियकारिणी वज्जिसंघ. गणतन्त्र के अन्तर्गत, कुण्डग्राम (क्षत्रियकुण्ड) के ज्ञातृक वंश में, काश्यप गोत्रीय क्षत्रिय महाराजा सिद्धार्थ की रानी थीं। इन्हें भगवान महावीर की जननी होने का गौरव प्राप्त था। इतिहास पण्डितों ने स्वीकार किया है कि माता त्रिशला महादेवी की सहोदराओं के कारण आर्यावर्त के अनेक नरेशों के साथ वज्जिसंघ गणतन्त्र के मैत्रीपूर्ण राजनैतिक सम्बन्ध रहे हैं। मगधनरेश बिम्बिसार, चम्पानरेश दधिवाहन, कौशाम्बी-नरेश शतानीक, अवन्ती के राज-परिवार और सिन्धु-सौवीर के अधिपति सातPage Navigation
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