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परिस्थितियों में अपने आपको सँभाला, और अपनी आस्था को डिगने नहीं दिया, वह केवल एक अबला नारी की कहानी नहीं है। उससे सम्पूर्ण नारी समाज का सरोकार है। आज हम वह सब सुनना चाहते हैं । क्योंकि हमें विश्वास है दीर्घकाल तक तुम्हारी कथा नारी मन का सम्बल बनती रहेगी और उन्हें प्रेरणा देती रहेगी।
"यह भी तो सोचो कि यदि आज तुम्हारे मुख से नहीं निकला तो वह सब सदा के लिए अनकहा ही रह जाएगा। संघ में प्रवेश करने के उपरान्त फिर साधक का कोई अतीत नहीं रह जाता। फिर वह वर्तमान में जीता है और भविष्य को सँवारने का पुरुषार्थ करता है । हमें सब बताओ चन्दन ! लोकहित के सन्दर्भ में भी उसका महत्त्व है ।" मृगावती ने अपने आग्रह का औचित्य चन्दना को
समझाया ।
“यदि इतना प्रबल आग्रह करती हो दीदी ! तो मैं तुम्हारा यह आदेश शिरोधार्य करती हूँ ।"
चन्दना :: 17