________________ नीरज जैन ना पर नीरज जैन लगभग पच्चीस वर्षों से जैन-विद्या पर लिखने/बोलनेवालों में जाना-पहचाना नाम है। गोमटेश-गाथा के लेखन से उन्होंने पौराणिक आख्यानों को आधुनिक भाषा और नवीन पद्धति में प्रस्तुत करने का जो अभिनव प्रयास किया उसे पाठकों की सराहना मिली है। उनकी अन्य पुस्तकें - रक्षाबन्धन, परम दिगम्बर गोमटेश्वर, अहिंसा और अपरिग्रह, कर्मन की गति न्यारी तथा मानवता की धुरी भी लोकप्रिय हुई हैं। कुछेक पुस्तकें मराठी, गुजराती, कन्नड़ एवं तमिल में अनूदित होकर आ चुकी हैं। तीर्थकर महावी ते न्यारी तथा मानवता की धुरी भी टा श्री जैन की नवी, तामती, कन्नड़ एवं तमिल में 0वें जन्म-कल्याणक वर्ष के अवसर सम्पर्क : शान्तिता की धुरी भी हासती चन्दना पर 485 001 नं तुमिल में 0वें जन्म-कल्याण भारतीय ज्ञानपीठ स्थापना : सन् 1944 उद्देश्य ज्ञान की विलुप्त, अनुपलब्ध और अप्रकाशित सामग्री का अनुसन्धान और प्रकाशन तथा लोकहितकारी मौलिक साहित्य का निर्माण संस्थापक स्व. साहू शान्तिप्रसाद जैन स्व. श्रीमती रमा जैन अध्यक्ष श्रीमती इन्दु जैन कार्यालय : 18, इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नयी दिल्ली-110 003