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सेठानी तलघर में बन्दिनी बनाने की, मुण्डन कराने की कृपा नहीं करती तो, महामुनि की चर्या का निमित्त कहाँ मिलता ? और फिर कोदों का भात कौन देता ?
इन सबके कारण ही राग में डूबी हुई यह अबोध बालिका विराग के सहारे प्रभु-चरणों में पहुँच सकी।
सब मेरे मित्र हैं, शत्रु अब कोई नहीं, आपसे, उन सबसे क्षमा याचना है, औरप्रार्थना है आज सब मुझको क्षमा करें। सबके प्रति मेरे अन्तर में क्षमा भाव है, दीदी !...अब विदा दो, ...बहुत दूर...जाना है।
प्राची में उषा की लालिमा झलकने लगी, सूर्योदय होने में क्षण भर की देर थी। गोपुर में मंगल वाद्य बजने लगे थे, तभी उदयन ने रथ लाकर द्वार पर लगा दिया।
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62 :: चन्दना