Book Title: Chandana
Author(s): Niraj Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 46
________________ को और मुखर कर देता था। मौसी ने उस दिन बताया “यह पहली बार नहीं हो रहा। पूर्व में भी स्वामी को अपनी पत्नी की निर्मूल शंकाओं का शिकार होना पड़ा है। यह स्वामिनी के भीतर की हीन भावना का प्रतीक है। जीवन में हताशा हो तो उसे व्यक्त होने का कोई तो मार्ग चाहिए।" भद्रा सेठानी के पास अपनी हताशा के उत्सर्ग का यही उपचार था। चन्दना::45

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