Book Title: Chandana
Author(s): Niraj Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ संस्तुति विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य और साहस का साथ न छोड़नेवाली महान आत्माओं की यशोगाथाओं से भारतीय वाङ्मय समृद्ध है। ऐसे महान चरित्रों के बीच मगध की राजकुमारी ‘चन्दना' का जीवन अनुपम आदर्श है। जैन साहित्य और पुराणों की वह एक सम्मानित पात्र है। उसे एक आदर्श श्राविका और आदर्श साध्वी के रूप में सर्वत्र स्मरण किया गया है। अपनी साधना और चारित्र के प्रभाव से चन्दना को भगवान महावीर के चतुर्विध संघ में आर्यिका दीक्षा प्राप्त हुई और अपने तप के प्रभाव से उसने आर्यिका वर्ग की सर्वोच्च उपाधि 'गणिनी' पद को भी प्राप्त किया। ___ चन्दना का जीवन हमें विषमतम स्थिति में भी सात्त्विक संस्कारों के प्रति दृढ़ बने रहने की मांगलिक प्रेरणा देता है, तथा संकेत करता है कि प्रायः दुखों की कालरात्रि के बाद ही मांगलिक अभ्युदय का सूर्य जीवन को आलोकित करता है। पौराणिक कथा के अनुसार, चन्दना वैशाली गणतन्त्र के अध्यक्ष सम्राट चेटक के यशस्वी कुल में सबसे छोटी राजकुमारी के रूप में जनमी थी। शिक्षा के साथ-साथ सदाचार के आदर्श संस्कार उसके जीवन के सर्वोत्तम अलंकरण थे। अपने माँ-बाप के लाड़-प्यार और सुख-साधनों में पली-बढ़ी चन्दना सभी ओर से निश्चिन्त रही और यह नहीं जान पायी कि क्रूर भाग्य उसकी जीवनरूपी नौका को दुर्भाग्य की भयंकर भँवरों में डावाँडोल करनेवाला है। एक दिन वह वनक्रीड़ा के निमित्त उद्यान में सखियों के साथ क्रीड़ारत थी कि तभी आकाशमार्ग से जाता हुआ एक विद्याधर उस भोली-भाली के मोहक सौन्दर्य के प्रति पाँच

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 64