Book Title: Chandana
Author(s): Niraj Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 10
________________ दासी-पण्य में ले जाकर सेठ वृषभसेन के हाथों बेच दिया। वृषभसेन के यहाँ सेठानी भद्रा ने, अपने पति को रिझाने की दोष-कल्पना करके, निर्दोष चन्दना को बहुत प्रताड़ना दी। केश मुंडाकर, बेड़ियाँ डालकर उन्हें एक अँधेरे कमरे में बन्दी बना दिया। वहाँ कांजी और कोदों का भात ही उन्हें खाने को देती थी। इतनी यातनाओं के बीच भी चन्दना ने धर्म की आस्था को डिगने नहीं दिया। वे कर्मोदय को अटल मानकर सब कुछ समता से सहती रहीं। आहार की संकल्पित विधि का योग नहीं मिलने के कारण अनेक दिनों तक निराहार लौटने के बाद एक दिन महामुनि महावीर जब कौशाम्बी में चर्या के लिए निकले थे तब बन्दिनी चन्दना ने, उस दयनीय दशा में भी, भगवान को आहार देने का संकल्प किया। भक्ति के प्रभाव से उसके बन्धन खुल गये। शरीर की कान्ति लौट आयी। उसके मुण्डित शीश पर केशराशि लहराने लगी। वह वस्त्राभूषणों से अलंकृत, सर्वांग सुन्दर कन्या के रूप में भगवान का पड़गाहन करने खड़ी थी। ___ महावीर पधारे। आहार विधि के सम्बन्ध का उनका अभिग्रह पूरा हो गया। फिर अपनी भक्ति के प्रभाव से चन्दना के हाथ का माटी का सकोरा स्वर्ण-थाल हो गया और उसमें रखा नीरस भोजन सरस और सुस्वादु हो गया। गगन से पुष्प वर्षा होने लगी। सबने चन्दना की भक्ति को सराहा। संसार से विरक्त चन्दना ने स्वयं को संघ में समर्पित करने की भावना भगवान के सामने निवेदित कर दी। भगवान महावीर ने आर्यिका दीक्षा देकर चन्दना को आत्म-कल्याण के मार्ग पर लगाया। यह भगवान के 'सन्तापहारी-दलितोद्धारक' रूप का एक उज्ज्वल उदाहरण था। कालान्तर में साधना के बल पर समवसरण में चन्दना को आर्यिका वृन्द की प्रधान स्वीकार किया गया। 'गणिनी आर्यिका महासती चन्दना' नाम से लोक में उन्हें प्रसिद्धि प्राप्त हुई। आयु के अन्त में सल्लेखनापूर्वक देह त्यागकर चन्दना का जीव, अच्युत स्वर्ग के देवों में उत्पन्न हुआ। पुराण-कथाओं को आधुनिक पद्धति से साहित्यिक आख्यायिकाओं के रूप में प्रस्तुत करने की आवश्यकता मुझे बार-बार अनुभव होती रही है। 'गोमटेशगाथा' और 'रक्षाबन्धन कथा' के मेरे प्रयासों को पाठकों की सराहना भी मिली है। इससे प्रोत्साहित होकर कुछ अन्य कथाओं की प्रस्तुति का विचार मेरे मन में था, परन्तु जीवन की अवांछित आपाधापी में वे संकल्प दबते रहे। गतवर्ष भगवान महावीर के 2600वें जन्म-कल्याणक वर्ष के आयोजनों में नारी की भूमिका पर चर्चा करते

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