Book Title: Chandana
Author(s): Niraj Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 7
________________ कामासक्त हो गया, तथा अपनी विद्या के बल पर उसका अपहरण कर उसे 'वैताढ्यगिरि' ले गया। लेकिन अपनी पत्नी 'मनोवेगा' की उपस्थिति से डरकर वह चन्दना को भयंकर अटवी में अकेला छोड़कर चला गया । इसके बाद का चन्दना का जीवन तब तक भयंकर व्यथा का इतिहास बनकर रहता है, जब तक परमकृपालु भगवान महावीर मुनि-अवस्था में उसके समक्ष आहार लेने प्रस्तुत नहीं होते हैं । जैन पुराण - कथाओं में महासती चन्दना के सन्दर्भ उपलब्ध हैं लेकिन वहाँ चन्दना के मानसिक अन्तर्द्वन्द्वों का अंकन उतना सशक्त और प्रभावशाली नहीं बन सका है। प्रस्तुत उपन्यासिका में लेखक की कलम का स्पर्श पाकर यह पौराणिक कथा जीवन्त हो उठी है । कथाकार ने चन्दना की इस व्यथा-कथा को पौराणिकता से हटकर आधुनिक भाषा और 'आत्मकथ्य' की शैली में रेखांकित करने का स्तुत्य प्रयास किया है। प्रस्तुत उपन्यासिका के लेखक श्री नीरज जैन लगभग पच्चीस वर्षों से जैन विद्या पर लिखते-बोलते आ रहे हैं । 'गोमटेश - गाथा' के लेखन से उन्हें जो लोकप्रियता प्राप्त हुई वह सर्वविदित है । इसके अतिरिक्त उनकी अन्य कृतियों - 'रक्षाबन्धन', 'परम दिगम्बर गोमटेश्वर', 'अहिंसा और अपरिग्रह', 'कर्मन की गति न्यारी' तथा 'मानवता की धुरी' ने पाठकों की भरपूर प्रशंसा पायी है । वीरवाणी के प्रवक्ता के रूप में भी नीरज जैन का सम्मानपूर्ण स्थान है । धार्मिक प्रवचनों के लिए पाँच बार अमेरिका का आमन्त्रण पाने के साथ उन्हें दक्षिण अफ्रीका में आयोजित विश्व-धर्म-संसद में भी बोलने के लिए आमन्त्रित किया गया था । तीर्थंकर भगवान महावीर के 2600वें जन्म-कल्याणक वर्ष के अवसर पर, आचार्यश्री विद्यानन्द जी महाराज की प्रेरणा से श्री नीरज जैन द्वारा रचित इस कृति के प्रस्तुतीकरण पर हमें बहुत हर्ष है। नीरज जी को इस श्रेष्ठ लेखन-कार्य के लिए बहुत-बहुत बधाई । रमेशचन्द्र प्रबन्ध न्यासी, भारतीय ज्ञानपीठ छह

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