Book Title: Chaityavandanbhashyam
Author(s): Devendrasuri, Dharmkirtisuri, 
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 377
________________ श्रीदे० तुहमणो चिंतए चित्ते ॥ ३० ॥ मन्ने कत्थवि दिट्ठो एस मुर्णिदो मया दयाभवणं । ज मह मणजलनिहिणो इंदुन्न जणेइ उल्लासं || कृमालकथा all॥३१॥ इय चितिरस्स तस्सासु भासुरं जाइसरणमुष्पन्न। तो मुत्तु सव्वकजे पत्तो गुरुचरणनमणत्थं ॥३२॥ नमिउं गुरुणो पुच्छइ धर्म संघा- जिणधम्मो किंफलो? भणइ पूरी। सो सग्गमुक्खफलओ पुच्छेइ पुगोवि नरनाहो॥३३॥ किं फलमबत्तसामाइयस्स? रजाइ संसइ चारविधौन मुगिंदो। तो तुट्ठो मणइ नियो किं उवलक्खह ममं भयवं! ॥३४॥ तयणु अणुत्तरसुयनाणसुद्धउबओगओ मुणिय सूरी । जंपइ ॥३४९॥ संपइ! नरवर आसि पुरो मज्झ तं सीसो ॥३५।। तथाहि-कइयावि मासकप्पेण विहरमाणा समं महागिरिणा । अम्हे कोसंविपुरं | पत्ता दुन्भिक्खकालंमि ॥३६॥ संकडभावा वसहीण बहुप्रभावेण मुणिजणस्स तहा सिरिअजमहागिरिणो वयं च वसहीसु वीसु ठिआ ॥३७॥ सुत्तट्ठपोरिसिकमेण मिक्सवेलाइ साहुसंघाडो। अम्हं कम्मिवि ईसरगिहमि मिक्खत्थमणुपत्नी ॥३८॥ अत्ताणं सत्ताणं तो मनतण तेण धणवइणा । भत्तीइ भत्तपाणं पउरं उबढोइयं तस्स ।:३९।। दिद्वं च तमेगेणं भिक्खयरेणं तहिं पविद्वेणं । चितइ इमिणो || | भत्ते अहो अहो धम्ममाहप्पं ॥४०॥ तुल्ले भिक्खयरत्ते इमे सउन्ना लहंति सम्बत्थ। अयं तु पुनरहिओ लहामि जह नवरमकोसं ॥४१॥ इय चिंतिय सो लग्गो मुणीण मग्गंमि मग्गए बहुसो। भयवं ! तुम्भे सञ्चत्य लहह ता देह मह किंचि ॥४२॥ तो मुणिवरेहि मणियं भो भद्द! न अम्ह संतियं भत्तं । अम्ह इमस्स य पहुणो गुरुणो चिदंति वसहीए ॥४३॥ तेणासाविवसेणं वसहिं आगंतु जाइया अम्हे । साहूहि तेण कहिओ सन्बोवि हु मग्गवुत्तो॥४४॥ तो नाउ सुएण वयं भावि पवयणसमुन्नइकरं तं । सामाइयसुसुच्चारपुब्वगं झचि दिक्खिसु ॥४५॥ भोयाविओ जहेच्छं मणुन्नमाहारमा निसाए सो। सुद्धमणो गूढविनइयाइपंचत्तमणुपत्तो ॥४६॥ इगबिंदुयसमहियलेहदोसउप्पन्नअंधभावस्स । कुमरकुणालस्म म एम भूव ! तं नंदगो जाओ।४७॥ इय सोऊणं राया बहु- ॥३४९॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490