Book Title: Chaityavandanbhashyam
Author(s): Devendrasuri, Dharmkirtisuri,
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
View full book text
________________
AMITRA
SHRI
सुमति
कन्याकथा.
S
श्रीदे किंकिणीजालमालमागय विमाणमह तत्थ । तो देवी ओयरिया किंनरगिज्जतविमलगुणा ॥२५॥ ठाउ सयंवरमंडवमझे सीहा-I चैत्य०श्री-||bll सणे तओ देवी । उक्खिविय कमलदलकोमलं करं दाहिणं भणइ ।। २६ ॥ हे धणसिरि मुद्धे बुज्झ बुझ मा मुज्झ मज्झ निसुधम सघाणाहि। एगग्गमणा धणियं खणमेग हियंकरं वयणं ॥ २७ ॥ किंनु कहिस्सइ एसा उ भयवती इय निवावि ते जाया । सकलचारविधौ
कलाविहु असकलकला तहिं सावहाणमणा ॥२८॥ अह सा देवी जंपइ पुक्खरदीवड़पुब्वभरहमि । नंदणवणमस्थि पुरं बहुप्पियं ॥३६८॥
नंदणवणं व ॥२९॥ तत्थ पभूयसुरयणो अत्थि महिंदो निवो महिंदुध । तस्स पिया शंतमई न तम्मई सीलभरवहणे ॥३०॥ अंकगयसुरहिवरकुसुमदामदुगसुमणसूइया धृया। जाया तीइभिरामा कणयसिरीधणसिरी नाम ॥३१॥ अन्नुन्नसिणेहाओ गयाउ ताओ कयावि कीलेउं। सिरिपब्बयवरसेलं फुरंतकरुगं मुणिमणं व ॥३२॥ तत्थ सुहज्झाणठियं नियंति नंदणगिरंति अणगारं। माणससरं व सच्छासयं सया संवरसमेयं ॥३३॥ तं दट्ठ तुहियया हियावहं तिहुयणस्सवि मुर्णिदं । वंदंति ताउ भत्तीइ इय धर्म | कहइ साहूवि ॥३४॥ "दुलहं लहिय नरभवं भविया! भवियत्तयानिओगेण । चिइवंदणाइधम्म करेह जइ महह सिवसंमं ॥३५॥ पतः-पूया जिणिंदेसु रई वएसु, जत्तो य सामाइयपोसहेसु । दाणं सुपत्ते सवणं सुतिस्थे, सुसाहुसेवा सिवलोयमग्गो ॥३६॥" तो वाओ पडिवज्जिय संमं संमत्तमूलगिहिधम्म । नमिय मुणिं गंतु गिहं कुणंति इस धम्ममपमत्ता ॥३७॥ पूर्वति जिणे सेवंति मुणिगणे तह पदंति सिद्धतं । पालंति वए सिद्धे नमति चिंतंति तचाई ॥३८॥ कोलंतीउ कयाविहु असोगवणियाइ ताउ रागवसा । तिपुराहिववीरंगयखेयरपावेण अवहरिया॥३९।। अह सपियसामलाए भणिो ता कहवि मुयइ स नहत्थो। वंसकुडंगीउवरिं भूयोऽवि वरुणनइतीरे ॥४०॥ पडिहारेणं पहयाउ ताउ दुनिवि य अप्पणो तत्वो। मरणंतमावयं जाणिऊण चितंति इय चित्ते॥४१॥ रे जीव!
HISARAINSAHITISARAHINESHCHETRINA THAPAINTIMARATHI
HAIHARIHSHAHIR RAIGAHARASHTRAumangane
॥३६८||

Page Navigation
1 ... 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490