Book Title: Chaityavandanbhashyam
Author(s): Devendrasuri, Dharmkirtisuri, 
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 487
________________ पायकथा श्रीदे। चैत्यश्रीधर्म संघा- चारविधौ ॥४५९॥ वो तेसि तेणमुवदिसिओ । ताई तयं पडिवन्जिय गयाइं गेहे गुरुं नमिउं ॥७०॥ तो ताई पहिवाई अट्ठमभचाई दुन्नि कुवंति । बत्तीस चउत्थाइ पसन्नचित्ताई तमि भवे ।। ७१ ।। पारणयदिणे दुन्निवि निष्फने भोयणमि पइदियहं । चखं खिवंति बाहिं जह | अतिही कोऽवि इह एइ ॥७२॥ तो तत्थागच्छंतं धिइधरनामं तवोहणं दटुं । पडिलामयंति तुहाई भत्तपाणेहिं सुद्धेहिं ।।७३॥ अह सत्वगुत्तसाहू पुणोऽवि पत्तो कयाइ तंमि पुरे । तप्पासे सुयधम्माई ताई दिलं पवनाई ॥७४॥ सो रज्जुगुत्तसाहू तवमंवि|लबमाणनामाणं । काउं अणसणविहिणा मरिर चंभे सुरो जाओ ॥ ७५ ।। दससागरोवमाई दाणपभावेण भुत्तु भोगाई । चविउं || सो उप्पन्नो सीहरहो एस खयरपहू ।७६।। सा संखियावि समणी कयतिब्बतवा मया गया बंभे। चविउं इमस्स जाया वेगवई नाम भज्जेसा ॥७७। एयाण देवि! तेणं सुपत्तदाणेण सुरभवे रिद्धी । पुनाणुबंधिपुन्नप्पभावो इहवि संजाया ॥ ७८ ॥ हत्तो | इमाई सपुरे गंतुं पुत्तं निवेसिउं रज्जे । दुन्निवि पिप्पंति वयं मम पिउजिणघणरहसमीवे ।। ७९॥ तवसंजमजोगेहि अणुत्तरेहि खवित्तु कंममलं । उप्पलकेवलाई दुन्निवि गमिहंति निव्वाणं ॥८०!! इय सोउं सीहरहो मेहरहं नमिय नियपुरे गंतुं । पुत्तं रज्जे | ठविउं निखंतो तीइ सह सिद्धो ॥१||-अह मेहरहो राया उजाणाओ गिहागओ कइया। पोसहिओ पोसहसालसंठिओ कहइ जिण| धम्मं ॥८२॥ अह गगणमंडलाओ भयसंभंतो पकंपिरो दीणो। पारेवओ रडतो पडिओ रायम्स उच्छंगे ॥८३॥ अभयं च जाय|माणं माणुसभासाइ तं खगं राया। करुणारसनीरनिही मा भाइ पुणो पुणो मणइ ॥८४॥ एवं वुचो रना पसंतमुत्ती विहंगमो एसो। | पिउउच्छंगे वालुव्व निम्मओ चिट्ठए जाव ।।८५।। मम भक्खं मुंच इमं राय! न जुतं इमं तु जंपतो। तप्पट्ठीए सेणो पत्तो सप्प-10 |स्स गरुडन्य ॥८६॥ तो भणइ भूमिनाहो सेण! इमं तुह कहं समप्पेमि । एप न खत्तियधम्मो सरणागयअप्पणं जमिह ।।८७।। || ॥४५९॥

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