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मोत्थुणं समणस्स भगवओ महावीरस्स
गणधर भगवान सुधर्मस्वामि प्रणीत
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श्री भगवती
सूत्र
( द्वितीय भाग )
शतक ३
उद्देशक १
चमरेन्द्र को ऋद्धि
१ गाहा -
arat arcaणा चमर किरिय जाणित्थि नगरपाला य । अहिवs इंदिय परिसा तइयम्मि सए दस उद्देसा ॥
भावार्थ – तीसरे शतक में दस उद्देशक हैं । उनमें से पहले उद्देशक में चमर की विकुर्वणा, दूसरे उद्देशक में उत्पात, तीसरे में क्रिया, चौथे में देव द्वारा विकुवित यान को साधु जानता है ? पांचवें में साधु द्वारा स्त्री आदि के रूपों की विकुर्वणा, छठे में नगर सम्बन्धी वर्णन, सातवें में लोकपाल, आठवें में अधिपति, नववें में इंद्रियों संबंधी वर्णन और दसवें में चमरेन्द्र की सभा संबंधी वर्णन है ।
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