Book Title: Atmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Atmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
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२ हिन्दी विभाग.
१ श्रीआत्मारामजी और हिंदी भाषा [ श्री जसवंतराय जैनी ] ... २ अर्हन्मतोद्धारक आचार्य आत्मारामजी [ श्री लक्ष्मण रघुनाथ भीडे ] ... ३ अंबाला शहरमें गुरुदेवस्थापित संस्थायें [ श्री ज्ञानदास जैन M. Sc. LL. B ] ... ४ मंत्रवादी श्रीमद् विजयानंदसूरि [ यतिश्री बालचंद्राचार्य ] ५ श्रीआचार्यदेवका स्मरण [ श्री शशिभूषण शास्त्री ]... ६ मंगलमूर्ति महावीर-काव्य [ श्री उदयशंकर भट्ट ] ... . हम कहां है ? [ पं० भागमल मौद्गलायन B. A] ८ ' क्यों न मम आंसू बहें ? '-काव्य. [ न्यायतीर्थ विद्याभूषण पं० ईश्वरलाल जैन ] ९ परमपूज्य मुनिश्री आत्मारामजी महाराज तथा चिकागो सर्व धर्मपरिषद् [ श्री सुन्दरलाल जैन ] ३४ १. श्री विजयानंदसूरि सज्झाय [ प्रवर्तकश्री कान्तिविजय ] ... ... ... ... ४४ ११ श्रीमद् विजयानंदसूरि तथा महर्षि दयानंद [ श्रीपृथ्वीराज जैन 1 ... १२ स्वर्गवासी गुरु महाराजका अपूर्ण रहा हुआ अंतिमध्येय [ प्रोफे. बनारसीदास जैन M. A.] ५० १३ कुछ इधर उधरका [ पंन्यास श्री ललितविजय ] ... ... ... ... ... ५४ १४ जैन समाजमें शिक्षा और दीक्षाका स्थान [ श्रीअचलदास लक्ष्मीचंदजी जैन ] ... ... ७१ १५ गुणाकरसूरि कृत श्रावक विधि रास [अपभ्रंश काव्य] [सं. मोहनलाल द. देशाई B. A., LL. B संपादक] ७५ १६ श्रीविजयानंदसूरीश्वर स्तवनं-कल्याणमंदिरस्तव चरणपूर्तिरुपं संस्कृतकाव्यं [ मुनिश्री चतुरविजय ] ८१ १७ प्राचीन मथुराने जैन धर्मका वैभव [ श्री वासुदेव शरण अग्रवाल M. A.] ... १८ सूरीश्वरजीके पुनीतनामपर [ न्यायतीर्थ विद्याभूषण पं. ईश्वरलाल जैन ] ... ... १९ एक जैन वीर [ श्री कृष्णलाल वर्मा ] ... ... ... ... ... २० जैन धर्मका महत्त्व और उसकी उन्नतिके साधन [ श्री मथुरदास जैन ] ... २१ गुरु विजयानंद-काव्य [ श्री राजकुमार जैन स्नातक ] २२ अहिंसा और विश्वशांति [ श्री दरबारीलाल जैन न्यायतीर्थ ] ... ... २३ जैन विद्वांसः संस्कृत साहित्यं च [ संस्कृत लेख ] [ श्री मंगलदेव शास्त्री M. A. D. LIT.] २४ जैन धर्मकी विशालता [ ब्र. शीतलप्रसाद जैन ] ... ... ... ... ... १४२ २५ श्री विजयानंद सूरीश्वर स्तवनम्-षोडशदलकमलबन्ध संस्कृत काव्यं [ भुनिश्री देवविजय १४८ २६ जैन धर्म और लोकभ्रान्ति [ श्री हंसराज शास्त्री ]...
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