Book Title: Ashtavakra Mahagita Part 06
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 13
________________ तुम्हें दिखाई नहीं पड़ता। अंधे हो तुम? हिंदू होओगे तब नमस्कार करोगे? यह चमत्कार सामने खड़ा है, तुम हिंदू होओगे तब नमस्कार करोगे? यह अपूर्व सूरज फिर उग रहा है। ये फिर छाने लगे प्रकाश के जाल चारों तरफ। फिर खिले फूल, फिर पक्षी बोले, फिर जीवन प्रगट हुआ| सब खो गया था रात के अंधेरे में, सब फिर प्रगट हुआ तुम्हारे हाथ नहीं जुड़ते जोड़ना पड़ते हैं? जोड़ो तो व्यर्थ, जुड़ जायें तो सार्थक। जरा तुम हृदय को संवेदनशील तो करो। जरा आंख खोलकर तो देखो। मेरे देखे तो न हिंदू के जुड़ते न मुसलमान के क्योंकि हिंदू भी आंख बंद करे हाथ जोड़ लेता है, क्योंकि सूरज है। मैं देखता हूं,कोई बिजली जलाये, हिंदू ऐसा हाथ जोड़ लेता है, नमस्कार कर लेता है। बिजली जल रही है, हाथ जोड़कर नमस्कार कर लिया। यह यंत्रवत है। एक सज्जन मेरे पास आते थे, उनको यह आदत थी। एक दिन वे आये, सांझ हम देर तक बैठे बात करते रहे। फिर मैंने पास बटन दबाकर, अंधेरा हो रहा था, बिजली जलाई तो उन्होंने हाथ जोड़े। मैंने फिर बुझा दी। वे बोले आपने यह क्या किया? मैंने कहा, तुमने सब खराब कर दिया। मैंने फिर जलाई, उन्होंने फिर हाथ जोड़े। मैंने कहा, जब तक तुम हाथ जोड़ना बंद न करोगे, मैं बुझाता रहूंगा। ऐसा कोई पचास बार मैंने किया । आखिर इक्यानवीं बार वे हार गये। कहने लगे हाथ जोड़े आपके । बात क्या है? आप क्यों यह जला- बुझा रहे हैं? मैंने कहा, इसलिए कि ये हाथ तुम्हारे तुम जोड़ते हो, जुड़ते नहीं । तुम्हारे जीवन में मैंने प्रार्थ का कोई स्वर ही नहीं देखा है। ये मुर्दा हाथ हैं, यंत्रवत उठ रहे हैं। तुम मशीन हो, आदमी नहीं हो, क्योंकि तुम्हें मैंने कहीं और सौंदर्य को प्रगट होते देखकर हाथ जोड़ते नहीं देखा । बगीचे में सामने गुलाब खिल रहे हैं, मैंने तुम्हें हाथ जोड़ते नहीं देखा । तुम क्या खाक समझोगे! कोयल गीत गाती है, मैंने तुम्हें कभी हाथ जोड़ते नहीं देखा। एक सुंदर स्त्री राह से गुजर जाती है, मैंने तुम्हें कभी हाथ जोड़ते नहीं देखा। तुम कैसे रोशनी के प्रगट होने पर हाथ जोड़ोगे ! रोशनी हजार-हजार रूपों में प्रगट हो रही है। यह सारा जगत रोशनी का ही खेल है। ये जो हरे पत्ते हैं ये भी रोशनी के ही हिस्से हैं। इसमें किरण का जो हरा हिस्सा है वह समा गया। इसे तुमने नमस्कार किया? ये जो लाल गुलाब खिले हैं ये भी रोशनी के ही हिस्से हैं। इसमें किरण का लाल हिस्सा समा गया। यह सारा जगत रोशन है और तुम बस बिजली का बटन दबा तो तुम नमस्कार करते हो? और तुम्हारे चेहरे पर मैं कोई नमस्कार का भाव नहीं देखता । यंत्रवत हाथ उठ जाते हैं। गुरजिएफ अपने शिष्यों को कहता था कि कोई भी एक क्रिया चुन लो जो यंत्रवत होती हो, और उसी वक्त एक चांटा खींचकर अपने को मारो। वह आदमी अदभुत था। जैसे तुम चर्च के पास से गुजरे और सिर झुका लिया। तो वह कहता, उसी वक्त चांटा मारो अपने को चाहे बीच बाजार में मारना पड़े। कोई भी एक किया चुन लो, जो तुम यंत्रवत करते हो, या कोई शब्द, तुम जो यंत्रवत बोलते हो, बार-बार बोलते हो और जो यांत्रिक हो गया है। जैसे कुछ लोग हैं, वे हर किसी को कहे चले जाते हैं मैं आपको प्रेम करता हूं। वे हर चीज

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