Book Title: Apbhramsa Bharti 1997 09 10
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 24
________________ अपभ्रंश भारती - 9-10 में था। उसमें कथा के प्रधान पात्रों के, उनके माता-पिता, स्थान तथा भवांतर आदि के ही नाम होंगे। वह पल्लवित कथा के रूप में नहीं होगी तथा उसी की विमलसूरि ने विस्तृत चरित्र के रूप में रचना की होगी।' यहाँ 'आयरिय परागयं' अर्थात् 'आचार्य परम्परा से आगत' शब्द अस्पष्ट सा प्रतीत होता है क्योंकि कालगणना तथा समयतिथि का कोई उल्लेख इसमें नहीं है। इसलिये यह कहना कि आचार्य परम्परा का प्रारम्भ कब से माना जाये असम्भव प्रतीत होता है। डॉ. उपाध्याय का इस सम्बन्ध में मत है कि प्रत्यक्षतः कवि का आशय स्वामी महावीर से है। परन्तु डॉ. कुलकर्णी का कहना है कि इस सम्बन्ध में कोई दृढ़ आधार नहीं है, आगम ग्रंथ में राम की चर्चा कहीं नहीं है। परन्तु इन सब तर्क-वितर्कों के उपरांत इतना स्पष्ट है कि विमलसूरि से पूर्व जो रामकथा प्रचलित थी, उसका रूप पूर्णतः विकसित नहीं हो पाया था, अर्द्धविकसित होने के कारण उसमें प्रामाणिकता का भी अभाव था अतः विमलसूरि ने इस परम्परा प्रचलित रामकथा को सत्य, सोपपत्तिक, विश्वसनीय बनाने का प्रयत्न किया। विमलसूरि की रामकथा जैनों के दिगम्बर तथा श्वेताम्बर दोनों ही संप्रदायों में प्रचलित रही। - विमलसूरि की परम्परा के अनुसार रामकथा का स्वरूप इस प्रकार है - राजा रत्नाश्रव और कैकशी की चार संतान हैं - रावण, कुंभकर्ण, चंद्रनखा तथा विभीषण। राजा रत्नाश्रव ने अपने पुत्र रावण का नाम दशानन इस कारण रखा क्योंकि उन्होंने सर्वप्रथम जब अपने शिशु रावण को देखा तो उनके गले में पड़ी माला में उन्हें रावण के दस सिर दिखाई दिये थे। विमलसूरि की कथा में इंद्र, वरुण, यम प्रभृति का चित्रण देवरूप में न होकर राजा के रूप में हुआ है। हनुमान ने रावण की ओर से वरुण के विरुद्ध युद्ध करके चंद्रनखा की पुत्री अनंगकुसुमा से विवाह किया। खरदूषण इसमें रावण का भाई नहीं है वह किसी विद्याधर वंश का राजकुमार है, खरदूषण का विवाह रावण की बहन चंद्रनखा से होता है तथा शम्बूक उसका पुत्र है। विमलसूरि ने रावण को एक नवीन रूप में चिन्हित किया है। विमलसूरि की रामकथा में रावण एक खल पात्र नहीं है वरन् अनेक सद्गुणों से युक्त एक उदात्त, गंभीर श्रेष्ठ पुरुष के रूप में प्रस्तुत किया है। इस रामकथा में राजा दशरथ की चार रानियाँ हैं - कौशल्या, सुमित्रा, कैकेयी तथा सुप्रभा, जिनके क्रमशः राम, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न पुत्र हैं। राजा जनक की रानी विदेहा है, उनके एक पुत्री सीता तथा पुत्र भामण्डल है। विमलसूरि ने सीताहरण का प्रसंग परम्परा से हटकर दिखाया है इसमें सीताहरण का कारण लक्ष्मण द्वारा भूल से शम्बूक को मारा जाना था, शम्बूक सूर्यहास खड्ग की प्राप्ति हेतु उस समय तपस्या कर रहा था। सीताहरण के समय लक्ष्मण वन में तथा राम सीता के पास कुटी में थे। लक्ष्मण राम को सिंहनाद का संकेत बताकर जाते हैं। रावण लक्ष्मण के समान सिंहनाद करता है जिसे सुनकर राम वन चले जाते हैं तथा इसी मध्य रावण सीताहरण कर लेता है। राम रावण के साथ युद्ध में विजयी होने के उपरांत अपनी आठ हजार तथा लक्ष्मण तेरह हजार पत्नियों के

Loading...

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142