Book Title: Apbhramsa Bharti 1997 09 10
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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अपभ्रंश भारती - 9-10 ने संक्षेप में शीघ्रता करने का प्रयास किया जिससे स्वाभाविकता में कमी आ गयी तथा किसी प्रकार ग्यारह संधियों में कथा पूर्ण करने के उद्देश्य से कथा में आकर्षण का भाव भी कम हो गया है। डॉ. नामवर इसी कारण कहते हैं- सच्चाई यह है कि पुष्पदंत का मन रामकथा में उतना नहीं रमा है, उनकी काव्य प्रतिभा का जौहर अन्यत्र दिखाई पड़ता है।
पुष्पदंत की रामकथा का स्वरूप विमलसूरि, रविषेण तथा स्वयंभू की रामकथाओं से कई संदर्भो में भिन्न है । कथा पौराणिक ढंग से वक्ता-श्रोता शैली के रूप में कही गई हैं । श्रेणिक अपनी शंकाओं को गौतम गणधर के समक्ष रखते हैं तथा गौतम उन समस्याओं का उत्तर देकर श्रेणिक को संतुष्ट करते हैं । 'पुष्पदंत की रामकथा में राम का जन्म अयोध्या में नहीं वरन् काशी में होता है क्योंकि दशरथ पहले काशी के राजा थे। राम की माँ का नाम सुबाला था, कौशल्या नहीं। लक्ष्मण की माँ सुमित्रा नहीं वरन् कैकेयी थी। लक्ष्मण को कैकेयी का पुत्र बताने से ही पुष्पदंत की रामकथा का स्वरूप परिवर्तित हो जाता है, इस तथ्य से राम के वन जाने का प्रसंग विशेष रूप से परिवर्तित हो जाता है।
पुष्पदंत के अनुसार राम की सीता के अतिरिक्त सात अन्य पत्नियाँ थीं। पुष्पदंत ने सीता को रावणात्मजा बताया है। सीता जन्म की यह मान्यता विष्णुपुराण के अनुसार है। गुणभद्र तथा पुष्पदंत के अतिरिक्त अन्य रामकाव्यों, यथा - वसुदेवहिण्डि, कशमीरी रामायण, तिब्बती तथा खोतानी रामायण, सेरतकांड, सेरीनाम के पातानी पाठ, रामकियेन, रामजातक पालकपालय में भी सीता को रावणात्मजा माना गया है।34
रावण सीता को अमंगलकारिणी समझकर मंजूषा में रखकर मिथिला में फेंक देता है, जहाँ सीता जनक को नहीं वरन् एक किसान को मिलती है, वह किसान जनक को सीता भेंटस्वरूप देता है । सीताहरण का प्रसंग भी यहाँ अन्य रामकथाओं से भिन्न दिखायी देता है । रावण सीताहरण सूर्पनखा के अपमान का बदला लेने हेतु नहीं करता वरन् नारद के उत्तेजित करने पर करता है। सीताहरण पंचवटी से नहीं वरन् वाराणसी के समीप किसी वन से होता है। पुष्पदंत की कथा में हनुमान सीता को नहीं खोज पाये थे। पुष्पदंत की कथा में राम गौरवर्ण के तथा लक्ष्मण श्याम वर्ण के थे। बालि तथा रावणवध लक्ष्मण करते हैं राम नहीं। दशरथ की मृत्यु राम के अयोध्या वापस आने के उपरान्त होती है। लक्ष्मण की मृत्यु किसी रोग से होती है । लक्ष्मण-मृत्यु के उपरांत राम लक्ष्मण के पुत्र पृथ्वीचंद्र को राज्य देकर स्वयं वैरागी हो जाते हैं। पुष्पदंत ने रामकथा का स्वरूप इस प्रकार परिवर्तित किया कि उसमें भरत जैसा मुख्य पात्र तथा शत्रुघ्न दोनों ही उपेक्षित रहते हैं । भरत तथा शत्रुघ्न की माँ का नामोल्लेख भी पुष्पदंत ने नहीं किया है, भरत-शत्रुघ्न 'कस्यचित् देव्यां' किसी देवी के पुत्र थे।
यद्यपि पुष्पंदत ने मात्र ग्यारह संधियों में ही रामकथा को वर्णित किया, जिससे कथा ऐसी प्रतीत होती है जैसे अत्यंत शीघ्रता के साथ उसे वर्णित किया जा रहा है तथापि पुष्पदंत ने गंगा उत्पत्ति, वानर उत्पत्ति, रावण का दशानन होना प्रभृति प्रसंगों को कुशलतापूंक अभिव्यक्ति प्रदान की है। रावण तथा सूर्पनखा जैसे खल पात्रों का चित्रण भी उदारतापूर्वक अधिक उज्ज्वल रूप