Book Title: Apbhramsa Bharti 1997 09 10
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 103
________________ अपभ्रंश भारती 9-10 18. ऐसा प्रतीत होता है कि कवि ने जिस समय संदेश रासक की रचना आरम्भ की, उस समय वह अपने निवास स्थान मुल्तान ( क्योंकि अद्दहमाण मुल्तान का रहनेवाला था ) से पूर्व दिशा के किसी स्थान पर प्रवासी था । तभी उसने ऐसा कथन किया है। तात्पर्य यह है कि रचना का आरम्भ पूर्व दिशा के किसी स्थल पर हुआ । 88 19. संदेश - रासक, प्रिफेस, पृ. 12 । 20. श्री चन्द्रकान्त बाली ने 'सामोरु' को 'शम्बर स्कन्द' (समरकन्द) होने अनुमान किया है, जो उचित नहीं । दे. पं.प्रा.हि.सा. का इति पृ. 101 एवं परि. 6 । 21. सम्मेलन - पत्रिका भाग 51, सं. 1-2, पृ. 1931 22. संदेश - रासक, प्रिफेस, पृ. 12 । 23. हिन्दी काव्य धारा, पृ. 292 । 24. हिन्दी - साहित्य का आदिकाल, पृ. 40 1 25. संदेश - रासक (हिं. ग्रं.र.का. बम्बई - सं.) भूमिका, पृ. 81-82। 26. सम्मेलन - पत्रिका, भाग 50, सं. 2 - 3, पृ. 57 1 27. राजस्थान - भारती, भाग 3, अंक 1, पृ. 46 । श्री अगरचंद नाहटा इसे अधिक पुरानी रचना मानने के पक्ष में नहीं हैं। उनके विचार से 'रासक' की रचना लक्ष्मीचंद के बहुत पूर्व नहीं हुई थी । दे. विकास 213। 28. संदेश-रासक, पृ. 90 टिप्पणक । 29. जैन - साहित्य का वृहद् इतिहास, भाग 6, पृ.561। 30. हजारीप्रसाद - ग्रंथावली, तीसरा खंड, पृ. 298 । 31. इस संवत् में गजनवी ने मुल्तान पर आक्रमण कर उसे अपने अधिकार में किया था । अतः इससे बाद का समय कदापि नहीं माना जा सकता। 32. संदेश - रासक, मूल, छंद सं. 17-18 (प्र.प्र.) । 33. शोधादर्श - 20, पृ. 31 (पउमचरिउ के संपादक डॉ. भायाणी के अनुसार ) । 34. संदेश - रासक (हि. ग्रं.र.का. बम्बई संस्करण), प्रस्तावना, पृ. 16-17। खटिकान 14 मुजफ्फरनगर-251002 उत्तरप्रदेश

Loading...

Page Navigation
1 ... 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142