Book Title: Apbhramsa Bharti 1997 09 10
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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अपभ्रंश भारती
9-10
झमालं (प्रा.) झमेला (हि.)
'झमेला' हिन्दी का देशज शब्द है, जो बखेड़ा, परेशानी आदि के अर्थ में प्रयुक्त होता है। कहना न होगा कि यह भी प्रकृत 'झमालं' का किंचित् परिवर्तित / सरलीकृत रूप है। प्राकृत में अंत्य अनुनासिक्य ध्वनि का आकारान्त में परिवर्तन आम प्रवृत्ति है।
इस तरह, झाडं (प्रा.) से झाड़ (हि.), झुट्ठ (प्रा.) से झूठ (हि.) तथा ठल्लो (प्रा.) सेठल्ला (हि.) शब्द विकसित हुए हैं। इनके अतिरिक्त डाली (प्रा.) से डाली (हि.), डोओ (प्रा.) से डौआ (हि.) (लकड़ी के बड़े चम्मच के अर्थ में), ढ़ेंका (प्रा.) से ढेंकी (धान कूटने का यंत्र), ढकनी (प्रा.) से ढकनी ( हिन्दी - मिट्टी का छोटा सा बर्तन, अर्थात् सकोरा), तग्गं (प्रा.) से तागा (हि.) जैसे शब्दों का बिलकुल सहज विकास हुआ है ।
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इस अर्थ में हिन्दी प्राकृत की अधिक ऋणी है । उपरिविवेचित देशी शब्दों का विकास यह सिद्ध करता है कि हिन्दी पर प्राकृत का प्रभाव न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से, अपितु भाषिक दृष्टि से अनुपेक्षणीय है ।
1. हिन्दी भाषा, डॉ. भोलानाथ तिवारी, किताब महल, इलाहाबाद, 1976 ई., पृ.6471 "जॉन बीम्स ने देशज शब्दों को मुख्यत, अनार्य स्रोत से संबद्ध माना" । दृष्टव्य कम्पैरेटिव ग्रामर ऑफ द माडर्न आर्यनलैंग्वेजेज ऑफ इण्डिया ।
2.
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3. " ये अपने ही देश में बोलचाल से बने हैं आधुनिक हिन्दी व्याकरण और रचना, डॉ. वासुदेवनंदन प्रसाद; भारती भवन, पटना - 43, 1989 ई.,
T.148 I
4. देशी नाममाला, हेमचंद्र, गुजराती सभा, बम्बई (मुम्बई); वि. सं. 2003; 1.3-4। 5. वही ।
6. हिन्दी भाषा, डॉ. भोलानाथ तिवारी; पृ. 659 ।
7. आदर्श हिन्दी-संस्कृत शब्दकोश, प्रो. रामसरूप शास्त्री; चौखम्बा विद्या भवन, चौक वाराणसी, 1957 ई.; पृ. 73 1
8. हिन्दी भाषा, डॉ. भोलानाथ तिवारी; पृ. 410 ।
9. वही, पृ. 428।
10. आदर्श हिन्दी-संस्कृत शब्दकोश, प्रो. शास्त्री; पृ. 100।
प्रोफेसर : हिन्दी - विभाग
ति. मा. भागलपुर विश्वविद्यालय,
भागलपुर-812007 (बिहार)