Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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अपभ्रंश भारती
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सइए,
'रइए 208
पलो प्रो, 104 सामिधो 106 वीश्रमउज्झा 106
बीई 107
भईउ, 'सुग्गीड 100 मायरीए, 110 सीए 111
112
हणुन,
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भुम्रा,
मासे
संमून,116 पसून11?
जमदुधा, उदय, 120 मारुइ121 सच्चमूड, Jaa
दुई 124 बिहूई 125 मउउ, 126
126127 127
128 129 दूउ, हूउ हणुण 180
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टूभित्र तुरि णिवासु"
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दइ बाइउ
एवि 100 घर 101
2
102
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108
114
118
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दइउ,
धाइउ,
162
115
'जूधारो 118
1, 100 सुए 131
स्वरों के संयोग के भी कुछ उदाहरण द्रष्टव्य हैं, यथा
ग्रहउ
बाइउ
बाइड 166
166 मालइए 107
आइए
लइए,
168
पाइए धाइए, भाइए 100
वसुमूह '
164
घएउ
रामएउ माइग्रो - भाइश्रो, धोधो विभोमो 178 घोड -
123
'लइ 168
170
भाइयो, 17 घाम्रो 172
उन्नाइ दुइ, 176 सुबइ 177
उम्रए सुधए, 178 चुधए 178
उए
उद्यो
ऊचो
ऊए
एक
ऐड
एड
एउ
एक
एए
एषो
बोइउ, 174 पलोइड 175
प्रोग्र
प्रोड
प्रोइ
प्रोउ
प्रोड
-
-
थुप्रो 13a हूभो
135
दूए रग 136 भाइरस 287
139
एइ 138 लेड, 230 के 141 142
―
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-
दो स्वरों के संयोग के अतिरिक्त प्रालोच्य कवि की भाषा में तीन-तीन, चार-चार
-
केकर 143
एए, 144 छेए 14
146
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-
विघोष, 147 पोषण 148
पलोइयो, 149 कोइल 150
होइ, 151 जोइय 162
लोड 18
गोदाई154
कोकहल 166
155
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-
प्रोक
प्रोए
होएवि, 106 पोएवि 167
-
बिच्छोए, 158 णिघोए 150
घोए - प्रोप्रो - विनोश्रो, 160 दोश्रो161
,132 मुए-238
घणे 140
-
-
गर उइउ, कथए ऊपन - हूघउ,
एच- पेउम्र 186
घोष - जोम, 187 सोधद्द 188
घोडऐ धोइएण 180 मोहयो– बोधो 190
-
180
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कुइड 181 दूधए 182 पसूम 188 1184 दूध उ 155
-
- कच्युमउशि
उद्मउ
एमइए के अइए 102
133
दो और तीन स्वरों के संयोगवाले प्रयोग प्रालोच्य कवि की भाषा में पर्याप्त मात्रा में
उपलब्ध हैं किन्तु चार स्वरों के संयोगवाला एक ही प्रयोग प्राप्त होता है।
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