Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 117
________________ 106 अपभ्रंश भारती पाठ 11 सो=वह (पुरुष) सा=वह (स्त्री) क्रियाएं हस हँसना, रूस-रूसना, जीव=जीना सय=सोना, लुक्क=छिपना, णच्च=नाचना, जग्ग=जागना, विधि एवं प्राज्ञा हसउ/हसेउ हसउ/हसेउ सयउ/सयेउ सयउ/सयेउ णच्चउ/णच्चेउ गच्चउ/णच्चेउ रूसउ/रूसेउ रूसउ/रूसे उ लुक्कउ/लुक्केउ लुक्कउ/लुक्केउ जग्गउ/जग्गेउ जग्गउ/जग्गेउ जीवउ/जीवेउ जीवउ/जीवेउ =वह हँसे । =वह हँसे । वह सोए। सोए। =वह नाचे । =वह नाचे । =वह रूमे। =वह रूसे । =वह छिपे । =वह छिपे । =वह जागे । =वह जागे। =वह जीवे । =वह जीवे । 1. सो=वह (पुरुष), सा=वह (स्त्री) अन्य पुरुष एकवचन (पुरुषवाचक सर्वनाम) 2. विधि एवं प्राज्ञा के अन्य पुरुष एकवचन में 'उ' प्रत्यय क्रिया में लगता है। 'उ' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य '' का 'ए' भी हो जाता है । ___ उपर्युक्त सभी क्रियाएं अकर्मक हैं । 4. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं ।

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