Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 124
________________ अपभ्रंश भारती 113 ते होन्तु वे दोनों होवें। वे सब होवें। वे दोनों होवें। वे सब होवें । अम्हे । हम दोनों/हम सब, उत्तम पुरुष बहुवचन प्रम्हइं तुम्हे । . तुम दोनों/तुम सब, मध्यम पुरुष बहुवचन पुरुषवाचक सर्वनाम तुम्हई बहुवचन ते वे दोनों (पुरुष)/वे सब (पुरुष) । अन्य पुरुष ता=वे दोनों (स्त्रियाँ)/वे सब (स्त्रियाँ) | बहुवचन | विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय (पाठ 9 से 16 तक) एकवचन बहुवचन उत्तम पुरुष मध्यम पुरुष इ, ए, उ, 0, हि, सु, अन्य पुरुष 3. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं । 4. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। इनमें कर्ता के अनुसार क्रियानों के पुरुष और वचन हैं। 5. . संयुक्ताक्षर के पहिले यदि दीर्घ स्वर हो तो वह ह्रस्व हो जाता है। यहां ठान्ति-+ठन्ति, ण्डान्ति+हन्ति प्रादि। अपभ्रंश में 'मा' 'ई' और 'क' दीर्घ स्वर होते हैं तथा 'म', 'इ', 'उ', 'ए' और 'नो' ह्रस्व स्वर माने जाते हैं।

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