Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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अपभ्रंश भारती
तुम्हे
तुम्हई
क्रियाएं
1.
2.
3.
4.
= तुम दोनों / तुम सब
स = हँसना,
हस
रूस = रूसना, जीव = जीना
तुम्हे
तुम्ह
तुम्हे
तुम्ह
तुम्हे
तुम्हइं
तुम्हे
तुम्ह
तुम्हे
तुम्ह
तुम्ह
तुम्हे
तुम्हइं
तुम्हे
तुम्ह
हसह / हसे ह
सह / सह
गच्चह / गच्चेह
रूसह / रूसेह
लुक्कह/ लुक्के ह
जगह / जग्गे ह
जीवह / जीवेह
पाठ 14
सय = सोना, लुक्क = = छिपना,
विधि एवं श्राज्ञा
तुम दोनों हँसो ।
तुम सब हँसो ।
=
तुम दोनों सोवो |
तुम सब सोवो |
तुम दोनों नाचो ।
तुम सब नाचो ।
तुम दोनों रूसो ।
तुम सब रूसो ।
तुम दोनों छिपो ।
तुम सब छिपो ।
=
तुम दोनों जागो ।
तुम सब जागो ।
=
तुम दोनों जीवो ।
तुम सब जीवो ।
109
रगच्च = नाचना जग्ग= जागना
- तुम दोनों / तुम सब
मध्यम पुरुष बहुवचन ( पुरुषवाचक सर्वनाम )
विधि एवं प्राज्ञा के मध्यम पुरुष बहुवचन में 'ह' प्रत्यय क्रिया में लगता है । 'ह' प्रत्यय
लगने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' भी हो जाता है ।
उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं ।
उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं । इनमें कर्ता तुम्हे / तुम्हइं के अनुसार क्रियानों के पुरुष और वचन हैं। यहां कर्ता तुम्हे / तुम्हई मध्यम पुरुष बहुवचन में हैं तो क्रियाएँ भी मध्यम पुरुष बहुवचन में लगी हैं ।