Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 116
________________ अपभ्रंश भारती 105 पाठ 10 णच्च=नाचना, जग्ग-जागना, तुहुं तुम क्रियाएं हस हंसना, सय=सोना, रूस रूसना, लुक्क छिपना, जीव=जीना, विधि एवं प्राज्ञा हसि/हसे/हसु/हस हसहि/हसेहि/हससु/हसेसु सयि/सये/सयु/सय सयहि/सयेहि/सयसु/सयेसु रणच्चि/पच्चे/गच्चुणच्च णच्चहि/णच्चेहि/गच्चसु/णच्चेसु =तुम हँसो। =तुम सोयो। =तुम नाचो। रूसि/रूसे/रूसु/रूस =तुम रूसो। रूसहि/रूसेहि/रूससु/रूसेसु लुक्कि/लुक्के/लुक्कु/लुक्क लुक्कहि/लुक्केहि/लुक्कसु/लुक्केसु =तुम छिपो। जग्गि/जग्गे/जग्गु/जग्ग =तुम जागो। जग्गहि/जग्गेहि/जग्गसु/जग्गेसु जीवि/जीवे/जी/जीव जीवहि/जीवेहि/जीवसु/जीवेसु =तुम जीवो। 1. तुटुं=तुम मध्यम पुरुष एकवचन (पुरुषवाचक सर्वनाम) 2. विधि एवं प्राज्ञा के मध्यम पुरुष एकवचन में 'इ', 'ए', उ, '.', 'हि' और 'सु' प्रत्यय क्रिया में लगते हैं । 'हि' और 'सु' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य 'न' का 'ए' भी हो जाता है। शून्य प्रत्यय प्रकारान्त क्रियानों में ही लगता है। प्राकारान्त, प्रोकारान्त, उकारान्त आदि क्रियानों में एवं आज्ञा में शून्य प्रत्यय नहीं लगेगा। ठा=ठहरना, हो होना, हु=होना आदि क्रियाओं में शून्य प्रत्यय नहीं होता है । 4. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं। 5. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। इनमें कर्ता 'तुहूं' के अनुसार क्रियानों के पुरुष और वचन हैं । यहां 'तुहुं' मध्यम पुरुष एकवचन में है तो क्रियाएँ भी मध्यम पुरुष एकवचन में हैं।

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